24 दिसम्बर 1999 कंधार हाईजैक की कहानी | 1999 में हाईजैक विमान का रूट क्या था ?

दोस्तों आज के URI Attack के इस पांचवें भाग में हम नेपाल से 24 दिसम्बर 1999 के कंधार हाईजैक की कहानी और उससे जुड़ी घटनाओं के बारे में बताएंगे , तो चलिए शुरू करते है | 24 दिसंबर 1999 क्रिसमस से ठीक 1 दिन पहले इंडियन एयरलाइंस का विमान  काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार था | अगले दिन क्रिसमस था,  इसलिए लोगों के अंदर खुशी और उत्साह भी था | लोग अपने-अपने घर जाने के लिए बेकरार थे | विमान को कैप्टन देवी शरण उड़ा रहे थे | थोड़ी देर बाद शाम 4:30 पर विमान ने उड़ान भरी |  सब लोग अपनी – अपनी सीट पर बैठे हुए थे | तभी यात्रियों के बीच से एक इंसान उठा और सीधा विमान के कॉक पिट की तरफ गया |

24 दिसम्बर 1999 कंधार हाईजैक की कहानी

आतंकी कैसे विमान के कॉक पीट में घुसे 

उधर फ्लाइट अटेंडेंट कप्तान और उनके को पायलट को कॉफी सर्व कर रहे थे | कॉफी सर्व करने के बाद वह कॉक पिट से बाहर निकालने के लिए जैसे ही कॉक पिट का दरवाजा खोला,  तो उन्होंने देखा कि हाथ में बंदूक लिए एक इंसान कॉक पिट की तरफ घुसा आ रहा है | उसने फ्लाइट अटेंडेंट को धक्का देकर कॉक पिट की तरफ यानी कि जहां पायलट और को – पायलट बैठते हैं, वहां घुस जाता है | पायलट हाथ में बंदूक लिए आतंकी  को देखकर घबरा जाते हैं |

विमान में अन्य आतंकी क्या किए ?

वह आदमी अकेला नहीं था | उसके चार और साथी भी थे | बाकी के चारों ने लोगों को थप्पड़ मारना, गालियां देना और उनको उनके परिवार से अलग करना शुरू कर दिया था | पुरुषों को एक तरफ बैठा दिया गया और औरतें तथा बच्चों को दूसरी तरफ बैठा दिया गया | उधर कॉक पिट में घुसे आतंकी ने पायलट से विमान को पाकिस्तान के लाहौर ले जाने के लिए कहा | पायलट ने कहा कि विमान को लाहौर की ओर नहीं ले जा सकते क्योंकि विमान के अंदर उतना ईधन नहीं है, तो आतंकवादी ने पूछा कि तो कहां तक ले जा सकते हैं ?

पायलट ने बताया कि विमान को या तो मुंबई ले जा सकते हैं या तो अहमदाबाद ले जा सकते हैं, तो आतंकवादी ने बोला कि अगर विमान को इतनी दूर मुंबई ले जा सकते हैं,  तो पास में लाहौर क्यों नहीं ले जा सकते?  और उसने गन पॉइंट पर सबको मार देने की धमकी देकर जबरदस्ती विमान  को लाहौर ले जाने के लिए कहा | कप्तान को मजबूरी में विमान को पाकिस्तान की तरफ ले जाना पड़ा |

लेकिन कप्तान ने बुद्धिमानी दिखाते हुए एक इमरजेंसी सिग्नल इंडियन एयरलाइंस के अधिकारियों को भेजी | इस इमरजेंसी सिग्नल से इंडियन एयर लाइंस के अधिकारी समझ गए कि इंडियन एयर लाइंस का विमान आईसी – 814 का अपहरण कर लिया गया है |

विमान अपहरण की सूचना से भारत का माहौल 

इस हाइजैक से पूरे इंडियन एयर लाइंस में हड़कंप मच गया | धीरे-धीरे यह बात न्यूज़ चैनल तक पहुंच गई | उनके माध्यम से पूरे देश में फैल गई |  पूरे देश में अफरा – तफरी का माहौल हो गया |उस विमान में बैठे यात्री के रिश्तेदार परेशान हो गए | इस खबर को न सिर्फ भारतीय मीडिया बल्कि दूसरे देश के मीडिया ने भी सुर्खियों में चलाया | इसी के साथ यह बात पाकिस्तानी मीडिया में भी फैल गई | इधर विमान के कप्तान ने विमान की रफ्तार 50% से भी कम कर दी | ताकि वे ज्यादा से ज्यादा समय भारतीय सीमा में रह सके | वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे | उन्हें पता था अगर वह पाकिस्तान चले गए,  तो शायद इस विमान का बच पाना नामुमकिन  हो जाएगा |

इधर धीरे-धीरे विमान का ईंधन खत्म होने लगा | और उसी के साथ विमान पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर जाता है,  लेकिन पाकिस्तान ने अपना एयर स्पेस बंद कर दिया | विमान को उसने कहीं भी उतरने की परमिशन नहीं थी क्योंकि पाकिस्तान को पता है कि अगर यह विमान  पाकिस्तान में उतर गया और यहां से कोई भी ऑपरेशन हुआ,  तो पूरी दुनिया के सामने उसके चेहरे से शराफत का नकाब हट जाएगा |

विमान अमृतसर कैसे उतरा  

पूरी दुनिया को यह पता चल जाएगा कि इस विमान हाई जैक में पाकिस्तान का ही हाथ है | इधर विमान का ईधन खत्म हो रहा था | कप्तान ने विमान को लाहौर से 50 किलोमीटर दूर अमृतसर में उतरने के लिए कहा | पहले तो आतंकवादी नहीं माने,  लेकिन बाद में जब कप्तान ने बताया कि अगर ईंधन नहीं भरा गया,  तो हम सब कभी भी मारे जा सकते हैं |  तब आतंकवादी मान गए |

कप्तान ने विमान को अमृत सर के एयरपोर्ट पर उतारा | उन्हें इस बात का भरोसा हो गया था कि अमृत सर में आतंकवादियों को मार दिया जाएगा |  लेकिन उनका यह भरोसा चंद पलों में टूट गया | अमृत सर के स्थानीय पुलिस को विमान में घुसने की इजाजत नहीं दी गई | क्योंकि विमान में बैठे लोगों की जिंदगी का सवाल था |  इसलिए केंद्र सरकार चाहती थी कि दिल्ली से एन एस जी के ट्रेंड स्पेशल कमांडो ही इस ऑपरेशन को संभाले और उस विमान के अंदर जाए | लेकिन शायद सरकार से यहां चुक हो गई क्योंकि दिल्ली से अमृत सर जाने में समय लगता है |

अमृतसर में क्या – क्या हुआ 

तब तक आतंकियों और विमान को रोक पाना शायद इतना आसान नहीं था | जब आधे घंटे तक कोई भी टैंकर  ईंधन भरने के लिए नहीं आया,  तो आतंकियों को समझ आ गया कि यहां जान बूझ कर देरी की जा रही है | जिससे उनके मारे जाने का  खतरा यहां हो सकता है | आतंकी कैप्टन को बिना ईंधन की उड़ान भरने के लिए कहने लगे | उन्हें पता था कि अगर उन्होंने अमृत सर एयरपोर्ट छोड़ दिया,  तो शायद उनका बच पाना या यात्रियों का बच पाना मुश्किल हो जाएगा |

आतंकियों ने देखा कि कैप्टन नहीं मान रहे हैं,  तो आतंकियों ने एक यात्री के सीने में चाकू मार दिया , और कप्तान से बोले कि अगर 30 सेकंड के अंदर  उड़ान नहीं भरी तो सबको मार दिया जाएगा | कैप्टन समझ गए कि शायद अब उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है | वह जितना देर कर सकते थे,  जितनी देर तक ईंधन को टाल सकते थे,  उन्होंने टाला,  लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकते , तो कप्तान ने तेजी से पाकिस्तान के लाहौर की तरफ उड़ान भरी और इसी के साथ विमान को बचाने की उम्मीद भी खत्म हो गई |

अमृतसर में सरकार ने क्यों कोई कार्यवाही नहीं की ?

कुछ पुलिस अधिकारी विमान के टायर को पंचर करने के लिए कह रहे थे,  ताकि विमान को दोबारा ना उड़ाया जा सके | लेकिन उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया | शायद सरकार यात्रियों के जिंदगी के साथ कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी | विमान कुछ मिनट में लाहौर एयरपोर्ट के पास पहुंच गया | शाम हो गई थी | पाकिस्तान एयर फोर्स ने विमान को मार गिराने की धमकी दी,  लेकिन पायलट के पास लाहौर में विमान उतारने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था क्योंकि विमान का ईंधन खत्म हो चुका था | विमान का इंजन कभी भी बंद हो सकता था,  और विमान कभी भी क्रैश कर सकता था |

पाकिस्तान के लाहौर एयरपोर्ट पर विमान क्यों उतारा गया ?

पाकिस्तान एयर फोर्स ने देखा कि पायलट के ऊपर इन धमकियों का कोई असर नहीं हो रहा है,  तो उन्होंने एयरपोर्ट की सारी लाइट्स को बंद कर दिया | चारों तरफ अंधेरा फैल गया | पायलट को कुछ नहीं दिख रहा था | चूकि यह हाई जैक पाकिस्तान ने खुद कराया था | इसलिए पाकिस्तान के कुछ देर की नौटंकी के बाद एयरपोर्ट की सारी लाइट्स ऑन कर दी गई | क्योंकि उन्हें यह भी पता था कि अगर यह विमान  लाहौर शहर के ऊपर क्रश हो गया,  तो पाकिस्तान के भी बहुत सारे लोग मारे जाएंगे | उन्हें इस हाई जैक का कोई फायदा भी नहीं होगा | पायलट ने विमान को लाहौर एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंड कराया | लैंड करने के कुछ सेकंड्स के अंदर ही विमान का एक इंजन बंद हो गया |

कंधार अपहरण विमान में पाकिस्तान ने ईधन क्यों भरा ?

पायलट चाहते थे कि पाकिस्तान में वह घायल व्यक्ति उतर जाए,  जिसके सीने में चाकू लगा था ताकि उसका इलाज हो सके |  और कुछ बच्चों और औरतों को भी उतारा जाए | लेकिन पाकिस्तान ने किसी को भी उतरने की इजाजत नहीं दी | पाकिस्तान ने उस विमान में ईंधन डाला और दो घंटे के अंदर वह विमान वापस से अफगानिस्तान के काबुल के लिए रवाना हो गया |

लेकिन अफगानिस्तान के काबूल एयरपोर्ट पर रात को उतारने के लिए कोई सुविधा नहीं थी | यह एक बहुत बड़ा संकट था | विमान में बैठे यात्री और साथ ही साथ पाँचों आतंकवादी भी घबरा गए थे | विमान को किसी भी कीमत पर काबूल एयरपोर्ट पर नहीं उतारा जा सकता था | काबूल एयरपोर्ट पर बिना देखे विमान उतारने का मतलब था,  खुदकुशी करना |आतंकवादियों को जब पता चला कि वह विमान को काबूल एयरपोर्ट पर नहीं उतार पाएंगे,  

आतंकियों ने क्या किया ?

 आतंकियों ने विमान  को अफगानिस्तान के कबूल एयरपोर्ट पर उतरने के लिए दबाव बनाया | लेकिन पायलट ने सीधे-सीधे मना कर दिया | पायलट ने बताया कि वहां पर इतना अंधेरा है कि वहां पर विमान को उतारा नहीं जा सकता है | काबूल एयरपोर्ट पर छाए अंधेरे को देखकर आतंकियों को भी यह लग गया कि विमान  को यहां उतरना सुरक्षित नहीं है | इसलिए उन्होंने पायलट से विमान  को सीधा दुबई ले जाने के लिए कहा | पायलट ने इसे ही सही माना और उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं था | इसलिए विमान  को सीधा दुबई ले जाया गया | इधर अमृतसर एयरपोर्ट पर आतंकियों ने जिस व्यक्ति को घायल करके कैप्टन को मजबूर किया था कि वह उड़ान भरने के लिए मान जाए |

रुपिन कटयाल जी की मृत्यु 

रुपिन कटयाल की बहुत ज्यादा रक्त स्राव की वजह से मौत हो गई | उनकी उम्र अभी मात्र 25 साल थी , और एक महीने पहले उनकी शादी हुई थी | वह नेपाल से हनीमून मना कर वापस लौट रहे थे | उनकी पत्नी इस विमान में थी | उन्हें इस बात का पता ही नहीं था कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है | विमान  को दुबई ले जाया गया | भारत सरकार ने दुबई सरकार से निवेदन किया कि दुबई में ही वह भारतीय सेना को सैन्य कार्रवाई की इजाजत दे |

लेकिन दुबई ने किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से मना कर दिया | पायलट के जोर देने पर आतंकवादियों ने रुपिन कटयाल के शव को और कुछ यात्रियों को जिनमें बच्चे और औरतें थी, विमान  से उतारने के लिए मान गए | अब विमान में आतंकवादियों के अलावा 162 लोग और रह गए थे | दुबई की एयरपोर्ट अथॉरिटी और वहां की सरकार पायलट के ऊपर विमान  को वहां से हटाने का दबाव बनाने लगी | इसलिए सुबह होते ही पायलट ने एक बार फिर उड़ान भरी | लेकिन इस बार आतंकियों ने विमान  को अफगानिस्तान के काबुल में न उतार कर अफगानिस्तान के कंधार में उतरने के लिए कहा |

पायलट ने विमान  को कंधार में उतारा | विमान को कंधार में उतरते ही तालिबान के आतंकवादियों ने विमान  को चारों तरफ से घेर लिया | विमान  के अंदर बैठे उन पांच आतंकियों ने तालिबानी आतंकियों को हाथ हिलाकर इशारा किया | विमान  के अंदर बैठे उन पांच आतंकियों ने तालिबानी आतंकियों को हाथ हिलाकर इशारा किया | इशारे से विमान के पायलट समझ गए थे कि यह आतंकी इन तालीबनियों से मिले हुए हैं और अब विमान बहुत बड़े खतरे में फंस चुका है | क्योंकि अब उनके चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी थे |

 किस तरीके से भारत सरकार ने उसमें बैठे बाकी के 188 लोगों की जान बचाई ?  

इधर रुपिन कटयाल की मौत की खबर मीडिया के माध्यम से चारों तरफ फैल गई | देश में गुस्सा और आक्रोश भर गया | देश की जनता सरकार के ऊपर बाकी लोगों को सही सलामत ले आने के लिए दबाव बनाने लगी | उस विमान में बैठे यात्रियों के परिजन सरकार से अपने परिवार के लोगों को सही सलामत ले आने का अनुरोध करने लगे | भारत सरकार इन आतंकियों से बात करने के लिए तैयार हुई |

आतंकियों ने भारत सरकार से 188 लोगों के बदले 35 आतंकियों को जेल से रिहा करने की मांग रखी | भारत सरकार और आतंकियों के बीच तना तनी बनी रही | दिन गुजरने लगे और काफी बातचीत के बाद अंत में तीन आतंकी तक वार्ताकार रुक गई | भारत सरकार तीन आतंकियों को छोड़ने के लिए मान गई | जिनमें से एक मौलाना मसूद अजहर था |

तीनों आतंकवादियों को अफगानिस्तान ले जाया गया | उन्हें तालिबानियों के हवाले कर दिया गया | फिर  अपने 188 लोगों को सही सलामत वापस भारत ले आया गया |  मसूद अजहर वहां कुछ समय रहने के बाद सीधे पाकिस्तान आता है | लगभग 1000 आतंकवादियों के साथ मिलकर एक नई आतंकी संगठन बनाता है जिसका नाम जैस ए मोहम्मद है |

जिसने हमें लगभग 30 से ज्यादा जख्म दिए हैं | भारत ने कई बार प्रयास किया कि मसूद अजहर को उनकी तरफ से मोस्ट वांटेड आतंकवादी घोषित कर दिया जाए | लेकिन चीन उसे बार-बार बचा रहा था | लेकिन एक दिन भारत के कठिन प्रयासों की वजह से मसूद अजहर को दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकवादी घोषित कर दिया गया |

दोस्तों यहां पर हमारा छठवाँ भाग खत्म होता है | कंधार हाईजैक की कहानी के अगले भाग में हम बात करेंगे एक दूसरा आतंकवादी हमला जो इसी तरीके से हुआ | एक दूसरे आतंकवादी संगठन लश्करे तैयबा के बारे में जिसका सरगना ऑफिस सैयद है | फिर मिलते हैं अगले भाग में ………….

Read More – What was Article 370 and 35 A in Indian consitution 

 


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