दोस्तों आज के Article 370 के इस कहानी के आखिरी भाग मे हम जानेंगे कि भारत सरकार के इस फैसले से देश – विदेश से कैसी प्रतिक्रियाएं मिली और उनकी प्रतिक्रियाओ का भारत ने कैसे जवाब दिया , आखिर मे इस फैसले से जामु कश्मीर के लिए क्या निष्कर्ष निकाला , तो चलिए शुरू करते है , भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध के बारे में अंतर राष्ट्रीय स्तर पर कई बार बात की जा चुकी है | कश्मीर भारत का हिस्सा है लेकिन आजादी के बाद से ही पाकिस्तान की इस पर नजर थी | आर्टिकल 370 का हटना वैसे तो भारत का आंतरिक मामला था | लेकिन अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर खूब बहस किया गया था |
जब आर्टिकल 370 हटाया गया तो सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व की नजर इस निर्णय पर थी | भारत सरकार के फैसले को जहां कुछ देशों ने समर्थन किया था, तो वहीं पाकिस्तान के समर्थन में कुछ मुस्लिम देश भी खड़ी रही थी |
अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी कश्मीर में अमन और शांति बनाए रखने को लेकर बात की जाने लगी थी | इस निर्णय के बाद पूरे विश्व से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आए थे | अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे सुपर पावर्स ने भी आर्टिकल 370 के हटाए जाने पर प्रति क्रियाएं दिए थे |
आईए , आपको बताते हैं कि उस समय किन-किन देशों ने भारत का समर्थन किया और किसने पाकिस्तान का साथ दिया था | आर्टिकल 370 हटाने पर रूस भारत के साथ खड़ा रहा था | रूस ने अपने वक्तव्य में कहा था कि आर्टिकल 370 पर भारत सरकार का निर्णय उनका आंतरिक मामला है |
रूस का कहना था कि कश्मीर मामले को भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला और लाहौर समझौते के जरिए हल किया जा सकता है | इस विषय पर हमारी सोच भी भारत की तरह ही है | साथ ही उसने यह भी साफ किया था कि भारत पाकिस्तान विवाद में उसका कोई भूमिका नहीं है | जब तक की दोनों देश उन्हें मध्यक्ष बनने के लिए नहीं कहते |
वहीं भारत के पड़ोस के देश बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया था कि जम्मू एवं कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया था | बांग्लादेश ने कहा था कि हमने हमेशा से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने वाले सिद्धांत को अपनाया है |
दोस्तों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उम्मीद थी कि इस मामले पर श्रीलंका उसका कुछ हद तक समर्थन करेगा | लेकिन हुआ इसका बिल्कुल उल्टा | श्रीलंका के उसे समय के प्रधान मंत्री विक्रम शिंदे ने , न सिर्फ इसे भारत का आंतरिक मामला बताया बल्कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर खुशी भी जाहिर की थी |
विक्रम शिंदे ने सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट में कहा था , लद्दाख और कश्मीर का पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है | लद्दाख में 70% बौद्ध जनसंख्या है और बौद्ध बाहुल्य वाला यह पहला भारतीय राज्य होगा |
भारत और अफगानिस्तान के बीच भी हमेशा संबंध अच्छे ही रहे हैं , तो उसका भारत के विरुद्ध जाना संभव नहीं था | लेकिन पाकिस्तान को असली झटका तालिबान ने दिया | पाकिस्तान के साथ अक्सर खड़े नजर आने वाले तालिबान ने इस्लामाबाद की ओर से अफगानिस्तान और कश्मीर मुद्दे को जोड़ने का विरोध किया था |
तालिबान की ओर से कहा गया था कि कश्मीर के मुद्दे को कुछ पार्टी की ओर से अफगानिस्तान से जोड़ने की कोशिश की जा रही है | अफगानिस्तान का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है |
फ्रांस ने भी इस निर्णय में भारत का साथ दिया था | राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा था कि कश्मीर मामले पर किसी भी तीसरे देश के दखल अंदाजी की कोई जरूरत नहीं है | यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है | यह जरूरी है कि जम्मू और कश्मीर में शांति बनी रहे | उन्होंने यह भी कहा था कि वह कुछ दिनों बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से बातचीत करेंगे और उनसे कहेंगे कि इस मुद्दे पर बातचीत द्विपक्षीय ही रहनी चाहिए |
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि भारत सरकार के इस फैसले पर ज्यादातर मुस्लिम देश उसका साथ देंगे | लेकिन यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी | मलेशिया और तुर्की को छोड़कर किसी भी प्रमुख मुस्लिम देश ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं किया था | पाकिस्तान की कोशिश थी कि भारत सरकार के इस कदम पर विश्व के इस्लामिक देश कोई एक्शन ले ले | लेकिन उसे ज्यादातर देशों से मायूसी ही हाथ लगी थी |
भारत सरकार के इस निर्णय पर अमेरिका ने भी सपोर्ट किया था | राष्ट्रपति ट्रंप ने इस निर्णय पर कहा था कि वह जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाने के पीछे के भारत के निर्णय का समर्थन करते है लेकिन वह घाटी की वर्तमान परिस्थिति को लेकर परेशान है | वे इस फैसले के बाद से कश्मीर राज्य में करीब से नजर रख रहे है |
वहीं अमेरिका के कई सांसदों ने भारत के इस काम की तारीफ की थी| तो कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने इसे लेकर कुछ सवाल उठाए थे | ब्रिटेन ने भारत के साथ जरूर दिया था, लेकिन उसके कुछ सांसद पाकिस्तान के समर्थन में खड़े नजर आए थे |
ब्रिटेन का कहना था कि भारत सरकार से इस निर्णय के बाद हमने वहाँ के वर्तमान परिस्थिति को लेकर अपनी कुछ चिंताएं जाहिर की है | भारत सरकार से वहाँ के लिए शांति की अपील की है | लेकिन हमने भारत के नजरिए से भी इस समस्या को समझा है | ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने इस पर पाकिस्तान का साथ दिया था | लेकिन बाद में खबर आई थी कि ब्रिटेन के सांसदों को पाकिस्तान आने के बदले मोटी रकम मिली थी |
ब्रिटिश सांसद डे वी अब्राहम की लीडरशिप में सांसदों का एक ग्रुप उस साल फरवरी में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पहुंचा था | तब ब्रिटिश संसद डे. वी. अब्राहम को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ही उनके देश वापस भेज दिया गया था |
भारत सरकार के इस निर्णय का जर्मनी ने खुलकर समर्थन नहीं किया था | लेकिन पाकिस्तान की तरफ से भी पक्ष नहीं लिया था | जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस मामले पर जर्मन मीडिया से कहा था कि कश्मीर में वर्तमान स्थिति स्थाई नहीं है और इसे बदलने की भी जरूरत है
चीन ने इस निर्णय पर दो अलग-अलग वक्तव्य जारी किए थे | चीन ने अपने पहले वक्तव्य में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर विरोध जताया था और इस एरिया पर अपना दावा किया था | वहीं जम्मू कश्मीर के विशेष अधिकार प्रदान करने वाले आर्टिकल 370 हटाए जाने पर कहां था कि वह कश्मीर में वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चिंतित है और इससे संबंधित लोगों को धैर्य रखना चाहिए और बुद्धिमत्ता के साथ काम लेना चाहिए |
चीन का मुख्य विरोधाभाष लद्दाख को लेकर था | भारत सरकार के इस निर्णय पर पाकिस्तान को समर्थन करने वालों में तुर्की भी था | तुर्की ने भारत सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए कई बयान जारी किए थे | तुर्की के राष्ट्रपति रेसेफ़ तयब एरदोगन फरवरी 2020 में पाकिस्तान भी गए थे |
उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा था | हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों को सालों से असुविधाओं का सामना करना पड़ता है | और हाल के दिनों में उठाए गए कदम से इनमें और बढ़ोतरी हुई है | कश्मीर का मामला हमारे लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है , जितना पाकिस्तान के लिए | उन्होंने कहा था कि तुर्की कश्मीर के मुद्दे को हमेशा उठाता रहेगा | तुर्की के साथ मलेशिया ने भी पाकिस्तान का इस मुद्दे पर खुलकर साथ दिया था | हालांकि बाद में भारत की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया के बाद उनके तेवर ढीले पड़ गए थे |
दोस्तों जैसा कि पहले कहा था कि कश्मीर का मामला बहुत संवेदनशील है और अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी अलग महत्त्व रखता है | भारत सरकार स्थानीय स्तर पर कश्मीरीयों के जीवन में एक सकारात्मक सोच लाना चाहती है | देश के हर नागरिक को समानता का अधिकार देने के लिए ही यह निर्णय लिया गया था |
निष्कर्ष :-
आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद लद्दाख और जम्मू कश्मीर में एक नई शुरुआत हुई है | अब पूरे भारत में एक देश एक विधान और एक संविधान का सपना सच हुआ है | अब सभी के लिए एक जैसे कानून है और सभी के लिए आगे बढ़ने के लिए भी समान अवसर है |
देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भाषण में कहा था कि पहले देश के लिए जो अधिकतर प्रावधान बनते थे | उनमें लिखा होता था जम्मू-कश्मीर से उम्मीद करें | अब यह इतिहास की बात हो चुकी है | अब जम्मू कश्मीर में भी नया निवेश किया जा रहा है | जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिए नए काम किया जा रहे हैं |
डर और आतंक के साए में बढ़ रहे कश्मीर में अब अमन और शांति की लहर चल रही है | इंडियन गवर्नमेंट कश्मीर से आतंकवाद और अलगाव वाद में को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रही है | हाल ही में वहां की सरकार ने एक आदेश पास किया था कि पत्थर बाजी और दूसरी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को पास – पोर्ट जारी नहीं होंगे |
सरकारी नौकरी और सुरक्षा एजेंसीज में भी उनके लिए कोई जगह नहीं होगी | एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में 2653 पत्थर बाजी की घटनाएं हुई थी | जो 2017 में 1412, साल 2018 में 1458 और साल 2019 में 1999 हो गई थी | लेकिन आर्टिकल 370 हटाए जाने की 1 साल के अंदर इस तरह की घटना कम होकर सिर्फ 255 रह गई थी | वर्तमान में पत्थर बाजी के मामले बिल्कुल समाप्त हो गई है | धीरे – धीरे स्थानीय युवा अब मुख्य धारा से जुडने लगे है |
पथरबाजी के अलावा घाटी में होने वाली आतंकवादी गतिविधियां भी काफी कम हो गई है | जिससे आम लोगों के साथ-साथ सुरक्षा बलों को भी काफी परेशानी होती थी | इतना ही नहीं कश्मीर के लिए यह लाइलाज रोग बन चुका था | जो घाटी के युवाओं के जीवन को बर्बाद कर रहा था | कश्मीर में युवा पढ़ने की जगह आतंक के इस तरह की गतिविधियों के दलदल में फंस जाया करते थे | लेकिन 2019 के बाद हालात तेजी से बदल रहे हैं |
कश्मीर की युवा सेना के कैंप में नए जीवन शुरू करने की इच्छा के साथ खुद आगे आ रहे हैं | जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से वहां निवेश के 456 MOU पर हस्ताक्षर हो चुके हैं | अब वह महिलाओं के लिए अप्लाई किया जाने वाला पर्सनल लॉ भी बेअसर हो गया है |
अब भारतीय संविधान में जो अधिकार महिलाओं को दिए गए है , उन सभी अधिकारों का लाभ यहां की महिलाओं को भी मिलने लगे है | तीन तलाक और दहेज जैसी समस्या को लेकर पुलिस और कोर्ट में न्याय के लिए अपील कर सकती है | आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद यहां करीब दो एम्स साथ में मेडिकल कॉलेज पांच नए नर्सिंग कॉलेज दो कैंसर इंस्टिट्यूट जम्मू और श्रीनगर में मेट्रो, आईटी पार्क सहित 7500 करोड रुपए के प्रावधानों पर काम शुरू हुआ है |
वित्तीय एक्सप्रेस के अनुसार भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ई जी पी योजना के जरिए 80000 करोड रुपए जारी हो चुके हैं | इस फंड से राज्य में आई आई टी, आई आई एम और एम्स बनाए जा रहे हैं | इन इंस्टिट्यूट के खुलने की उम्मीद से जम्मू कश्मीर में एक नया बदलाव हम सभी को देखने को मिलेगा |
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से अब तक जम्मू कश्मीर सरकार वहाँ के घरों में 100% विद्युतीकरण और 24 घंटे बिजली का सपना साकार करने जा रही है | अब तक ग्रामीण क्षेत्र में 43% घरों में पानी का कनेक्शन किया जा चुका है | कश्मीर के विद्यार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए भी कई तरह के पहल किए जा रहे हैं |
दोस्तों कम समय में ही कश्मीर की फिजाओं से नई महक आने लगी है | अब यहाँ आतंक से ज्यादा विकास की बात की जा रही है, जो पूरे भारत के लिए दिल को सुकून देने वाली है | हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि इस धरती का स्वर्ग हमारे भारत का हिस्सा है |
अब उम्मीद करते हैं कि आर्टिकल 370 हटाने के बाद अब हर दिन हमें कुछ अच्छी खबरें कश्मीर और लद्दाख से मिले | सरकार का यह निर्णय इन दोनों जगह और यहां के लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हो |
दोस्तों इस सीरीज में बस इतना ही उम्मीद करते हैं कि यह सीरीज आपको पसंद आई होगी | अगर आपको हमारी यह कहानी अच्छी लगी हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं | दोस्तों , आगे के ब्लॉग पोस्ट में हम URI हमले की पूरी घटनाओ का सीरीज शुरू करने जा रहे है , आप मे से किनको – किनको जानना है इस घटना के बारे मे कमेन्ट करके जरूर बताए , तब तक इंतजार कीजिए अगले एक और पाकिस्तान के कायरने हरकत के कहानी का , URI हमला
जय हिन्द
जय भारत
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