दोस्तों Ind vs Pak 1971 सीरीज के पांचवें भाग में हम भारतीय सेना नेवी के जवाब की कहानी के बारे में जानेंगे | तो चलिए शुरू करते है – अब तक की हमारी चर्चा में हमने जाना कि कैसे पश्चिमी मोर्चे पर भारत के केवल 120 जवानों ने पाकिस्तान के 3000 सैनिकों को मात दी थी ? लेकिन अभी भी भारतीय नेवी ने पाकिस्तान के ऊपर कोई बड़ा हमला नहीं किया था |
उस समय जब पाकिस्तान ने भारत की सीमा के अंदर घुसकर एयर स्ट्राइक की थी | तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को हर तरफ से पाकिस्तान पर हमला करने की इजाजत दे दी थी | भारतीय थल सेना और वायु सेना पहले से ही अपने काम पर लगी हुई थी | अब बारी थी भारतीय नेवी की |
4 दिसंबर 1971 को भारतीय नेवी के कई सारे युद्ध जहाज एंटी शिप मिसाइल के साथ ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू कर चुके थे | इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौ सेना कराची पोर्ट पर लगातार हमले कर रही थी | इसकी एक बड़ी वजह यह भी थी कि कराची पोर्ट पर पाकिस्तानी नेवी का हेड क्वार्टर भी था | साथ ही साथ यह पाकिस्तान की ट्रेड यानिकि बिजनेस का एक बड़ा रास्ता भी था |
ऑपरेशन ट्राइडेंट की खास बात यह भी थी कि दक्षिण एशिया में पहली बार किसी देश ने एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया था | इन मिसाइल्स को भारत ने रूस से लिया था | उस समय कराची पर हमले की बात पाकिस्तान ने बिल्कुल भी नहीं सोची थी | इस वजह से पाकिस्तान जवाबी कार्यवाही में कुछ भी नहीं कर पाया |
ऐसा बताया जाता है कि पाकिस्तान नेवी के कुल 2000 सैनिक इस ऑपरेशन में मारे गए थे | वहीं भारत के भी 194 जवान इस ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए थे | मगर भारतीय नौसेना ने इसके साथ ही 1500 के करीब पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी भी बना लिया था | पाकिस्तानी नौसेना के दो डिस्ट्रॉयर, PNS फाइबर और PNS शाहजहां भी भारतीय नौ सेना के द्वारा डुबो दिए गए थे |
यही वह समय था जब पाकिस्तान ने अपनी सबसे खतरनाक सबमरीन PNS गाजी को भारत के एयर क्राफ्ट कैरियर आई एन एस विक्रांत को खत्म करने के लिए भेजा था | उस समय आई एन एस विक्रांत भारत के लिए बहुत ही जरूरी था | भारत के पास पाकिस्तान की सबमरीन PNS गाजी को रोकने के लिए कोई खास तरीका भी नहीं था |
वही आई एन एस विक्रांत को भारतीय नेवी ने पूर्वी पाकिस्तान की सीमा पर नियुक्त भी कर रखा था | वहां से भारतीय वायु सेना की मदद से पूर्वी पाकिस्तान के अंदर पाकिस्तानी सेना पर लगातार हमला कर रही थी |
माना जाता है कि उस समय भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | भारतीय सेना को यह बात अच्छी तरह से पता थी कि अगर पी एन एस गाजी विक्रांत तक पहुंच गया तो INS विक्रांत को बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा | इसलिए खास प्लान बनाया गया |
उन्होंने विशाखा पट्टनम के बंदरगाह पर यह अफवाह फैलाया गया कि आई एन एस विक्रांत यहां पर आने वाला है | कुछ ही समय में यह अफवाह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी तक भी पहुंच गई | पाकिस्तान ने पी एन एस गाजी को विशाखापट्टनम की ओर मोड़ दिया | जिस समय PNS गाजी को विशाखा पट्टनम के पोर्ट की ओर मोड़ा गया | उस समय वहां पर आई एन एस राजपूत युद्ध के जहाज पहले से मौजूद थे |
आई एन एस राजपूत में उस समय कुछ तकनीकी समस्याएं चल रही थी | इसी वजह से उसे युद्ध में उतारा नहीं गया था | लेकिन जब PNS गाजी विशाखा पट्टनम पर आई एन एस विक्रांत की खोज में आया, तो आई एन एस राजपूत के भारी हमले के बाद पी एन एस गाज़ी समुद्र में डूब गया | इस तरह से भारतीय नौ सेना के एक खराब हो चुके जहाज ने भी युद्ध में इतनी बड़ी भूमिका निभाई कि उसने पाकिस्तान के सबसे ताकतवर सबमरीन बताए जाने वाले PNS गाजी को तबाह कर दिया | अब भारत के आई एन एस विक्रांत को किसी भी चीज का डर नहीं था |
अब भारतीय नौ सेना आराम से बंगाल की खाड़ी में पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी सेना के ऊपर हमला कर सकती थी | वहीं इस दूसरे झटके के बाद पाकिस्तान की सेना का हौसला बिल्कुल टूट चुका था | दूसरी तरफ भारत के लिए यह जीत बहुत ज्यादा जरूरी थी, क्योंकि भारत के पास उस समय कोई भी एंटी सब मरीन और युद्ध पोत नहीं था |
भारत के पासउस समय मात्र एक युद्ध पोत था | जिसका नाम आई एन एस खुखरी था | जिसे पाकिस्तानी नौ सेना ने पहले ही डुबो दिया था | इस वजह से अब भारतीय नौसेना के लिए यह जरूरी हो गया था कि वह अपनी एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर आई एन एस विक्रांत को पाकिस्तान के सबमरीन PNS गाजी से बचाकर रखें |
भारतीय नौ सेना के समझदारी, सूझबूझ और रॉ के शानदार खुफिया प्रतिक्रिया के चलते भारतीय नौ सेना पाकिस्तान सेना को इतना बड़ा झटका दे पाई थी | इसके बाद तो भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पूरे समुद्री ट्रेड रूट को ब्लॉक कर दिया था | जिसकी वजह से अब पाकिस्तान में खाड़ी देशों से किसी भी प्रकार के रसद नहीं आ सकती थी | इसके साथ ही युद्ध के इस पड़ाव तक पाकिस्तानी नौ सेना को काफी ज्यादा नुकसान हो चुका था |
उन्होंने यह सोचा था कि भारत को हराना इस समय आसान होगा | क्योंकि अमेरिका जैसे बड़े देश भारत के खिलाफ थे | लेकिन पाकिस्तान उस समय इस बात को भूल चुका था कि भारत के समर्थन में सोवियत संघ खड़ा था |
सोवियत संघ और अमेरिका की आपसी दुश्मनी के चलते ये दोनों देश इस युद्ध में अपना दबदबा बना कर रखना चाहते थे | सोवियत संघ ने पाकिस्तान को कई बार चेतावनी भी दी थी कि वह इस युद्ध को शुरू न करें | साथ ही साथ सोवियत ने पाकिस्तान को यह भी कहा था कि अगर वह युद्ध शुरू करता है, तो यह पाकिस्तान के लिए आत्महत्या करने जैसा फैसला होगा |
यह सब जानकर अब हमारे सामने सवाल यह आता है कि आखिरकार रूस ने कैसे भारत की इतनी सहायता की ? क्यों अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देश युद्ध में भारत के खिलाफ कुछ भी कदम नहीं उठा पाए ? हम अगले भाग में इसके बारे में चर्चा करेंगे कि आखिरकार यह सब कुछ हो कैसे रहा था ?
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