दोस्तों Ind vs Pak 1971 के इस सीरीज के तीसरे भाग में हम युद्ध की शुरुवात के बारे में जानेंगे | तो चलिए शुरू करते है – नवंबर सन 1971 में पाकिस्तान की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोग उतर आए थे | उन सब की मांग थी कि पाकिस्तान सरकार भारत पर हमला कर दे | वे सभी लोग क्रश इंडिया कैम्पेन के बारे में बात कर रहे थे | भारत को उसके बारे में पहले से ही भनक लग चुकी थी | इसीलिए भारतीय सेना पहले से ही पश्चिमी सीमा पर भारी मात्रा में तैनात की जाने लगी थी |
दिसंबर में हिमालय की घटिया बर्फबारी से बंद हो चुकी होती है | इस वजह से भारत को चीन की ओर से हमले का भी कोई डर नहीं था | तब भारत ने तसल्ली से अपना सारा ध्यान पाकिस्तान पर लगा दिया | 23 नवंबर को पाकिस्तान के राष्ट्रपति याया खान ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी | उन्होंने देश की जनता को एक युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहा |
वही 3 दिसंबर साल 1971 शाम करीब 5:40 पर पाकिस्तान एयर फोर्स ने भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में कई सारे हवाई हमले किए | इसके साथ ही पाकिस्तान एयर फोर्स भारतीय बॉर्डर के काफी अंदर तक आ चुकी थी | पाकिस्तान की ओर से भारत के शहर आगरा पर एयर स्ट्राइक की गई थी | उस समय भारत सरकार ने ताज महल को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ों के पत्तों से ढक दिया था |
जिससे ऊपर से कोई उसकी मौजूदगी का अंदाजा ना लगा सके | पाकिस्तान एयरफोर्स के द्वारा इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुका था | पाकिस्तान के 50 से भी अधिक लड़ाकू विमान भारत के ऊपर हमला कर रहे थे | पाकिस्तान द्वारा इस युद्ध को ऑपरेशन चंगेज खान नाम दिया गया था | पाकिस्तानी एयरफोर्स के हमले के बाद इंदिरा गांधी ने उसी शाम को रेडियो पर यह घोषणा की कि पाकिस्तान के हमला करने के बाद अब भारत पूरी ताकत के साथ जवाबी कार्यवाही करेगा | इसी के साथ भारत सरकार द्वारा भी युद्ध की शुरुआत का ऐलान कर दिया गया |
इंदिरा गांधी ने हर तरफ से पाकिस्तान पर हमला करने का ऐलान भी कर दिया था | उसी रात भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान के सीमा के भीतर जाकर उनके कई मिलिट्री बेस पर जबर्दस्त बमबारी की | इस युद्ध में भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौ सेना तीनों पूरी ताकत से शामिल थे | क्योंकि भारत इस बार चीन के साथ युद्ध में हुई गलतियों को बिल्कुल भी दोहराने वाला नहीं था |
दरअसल साल 1962 में जब चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था, तो उसे समय भारत सरकार ने यह फैसला लिया था कि वह इस युद्ध में नौ सेना और एयर फोर्स का इस्तेमाल नहीं करेंगे | भारत सरकार का यह कहना था कि नौ सेना और एयर फोर्स का इस्तेमाल इस युद्ध को और आगे पहुंचा सकता है |
जबकि चीन की तरफ से कोलकाता शहर पर हमले किए जा सकते हैं , लेकिन साल 1971 की युद्ध में भारत ने ऐसी कोई गलती नहीं की | भारतीय सेना की तीनों टुकड़ियों पाकिस्तान को हर तरफ से मुंह तोड़ जवाब दे रही थी | दोनों देश अब इस युद्ध में अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे |
इस बार पाकिस्तान के लिए यह युद्ध शुरुआत से ही मुश्किल हो रहा था | इसका एक वजह यह था कि पाकिस्तान को अपने पूर्वी पाकिस्तान यानि कि मौजूदा बांग्लादेश में मौजूद सेना को हथियार पहुंचाने के लिए भारत के चारों तरफ से घूम कर बांग्लादेश पहुंचना पड़ता था | इसमें उन्हें काफी समय लग जाता था |
आपको जानकर हैरानी होगी कि श्रीलंका ने भी उसे समय इस युद्ध में पाकिस्तान का साथ दिया था | उस समय श्रीलंका में कम्युनिस्ट सरकार थी | हालांकि उस समय वहाँ की कम्युनिष्ट सरकार का कहना था कि वे किसी भी तरफ नहीं रहेंगे, लेकिन जब बाद में उन्होंने देखा कि भारत किस तरह बांग्लादेश को आजाद करने के लिए युद्ध कर रहा है ? तब श्रीलंका को यह समझ में आ गया कि कहीं भविष्य में भारत उनके देश के साथ भी कुछ ऐसा ना कर दे | इस डर के चलते श्रीलंका ने उस समय पाकिस्तान का साथ दिया |
इस युद्ध में पाकिस्तान एयरफोर्स के लड़ाकू विमान श्रीलंका के सैनिक हवाई अड्डे पर ईधन भरने के लिए रुकते थे और वहां से वापस बांग्लादेश की ओर रवाना होते थे |
Discover more from Hanswahini Education
Subscribe to get the latest posts sent to your email.