POK मे घुसकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी

आज इस URI Attack के इस भाग में हम बात करेंगे कि POK में सपोर्ट टीम ने किस तरीके से अपने  सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया ?  किस तरीके से अटैक टीम ने आतंकियों को खत्म किया ? तो चलिए शुरू करते हैं –  रिकी टीम अपना काम खत्म करके POK से वापस आ गई | उनकी दी हुई जानकारी के हिसाब से सपोर्ट टीम और अटैक टीम ने अपनी -अपनी प्लानिंग कर ली | सपोर्ट टीम को हमले वाले दिन से 2 दिन पहले POK में जाना था | इनका काम अटैक टीम को सपोर्ट देना था | उनके लिए एक छोटा और सुरक्षित रास्ता वहां से मिशन खत्म करने के बाद सुरक्षित निकालने के लिए ढूंढना था | जिसे सफलता पूर्वक किया भी गया |

सपोर्ट टीम उसी रास्ते का इस्तेमाल करके  POK में  गई थी | जिस रास्ते का इस्तेमाल करके रिकी टीम गई थी | लेकिन वहाँ  से वापस आने के लिए उन्होंने दूसरा रास्ता ढूंढा | क्योंकि उस रास्ते से थोड़ी दूर पर पाकिस्तानी  सेना के पोस्ट और बंकर थे | जो हमला करके लौटते वक्त अटैक टीम के ऊपर हमलाकर सकते थे | सपोर्ट टीम के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी | उन बंकरो से और पाकिस्तानी सेना के पोस्ट से दूर एक सुरक्षित रास्ता POK से निकलने के लिए ढूंढना था |  सपोर्ट टीम ने दुश्मनों से बचते हुए , काफी मेहनत के बाद आखिरकार वह छोटा और सुरक्षित रास्ता ढूंढ ही लिया |

 

uri attack

लेकिन उस रास्ते पर चलना इतना आसान नहीं था | क्योंकि इस रास्ते पर बहुत सारी छोटी-छोटी चट्टानें  और ढलान थी | हमारी अटैक टीम सुरक्षित निकल सके | इसलिए सपोर्ट टीम ने इन ढलानों और चट्टानों पर बहुत ढेर सारी रस्सियाँ बांध दी | ताकि जवान इन रस्सियों  को पकड़ कर  इन ढलानों को पार कर सके और बिना देरी किए इस इलाके से निकल सके | सपोर्ट टीम भी अपने साथ उतने ही हथियार ले गई थी |

लेकिन उनके साथ बहुत सारी रस्सियाँ थी | इसलिए उनका बैग रेकी टीम से भी ज्यादा भारी हो गया था | सपोर्ट टीम पूरी तैयारी कर चुकी थी | अब बारी थी अटैक टीम की अटैक टीम ने  सारी जानकारी इकट्ठा करके एक प्लान तैयार किया |  और हर एक जवान को उसका काम समझा दिया | जैसे रॉकेट लांचर वाले जवान का काम था , आतंकियों की बिल्डिंग को गिराना , स्निपर का काम था उन आतंकियों को मार गिराना जो हमला करने की पोजीशन में थे,  ग्रेनेड लांचर वालों का काम था, आतंकियों को उनके बकरों से बाहर निकालना और ए के -47 राइफल लिए जवानों का काम था,  सीधा घर में घुसकर एक-एक आतंकी को चुन चुन कर मार गिराना |

इस प्लान के साथ भारतीय जवान 28 सितंबर 2016 को भारत माता की जय का हुंकार लगाते हुए रात के तकरीबन 8:00 बजे अपने मिशन के लिए निकल पड़े | इस मिशन की खबर किसी को ना हो इसलिए जवानों को मिलिट्री की गाड़ी से ना ले जाकर साधारण गाड़ियों में उन्हें LOC के पास छोड़ दिया गया |

अब जवानों को आगे का रास्ता पैदल ही तय करना था |  हालांकि रेकी टीम इन रास्तों से POK मे पहले ही जा चुकी थी , लेकिन तब और अब में अंतर था | रेकी टीम छोटी टीम थी,  लेकिन अटैक टीम एक बड़ी टीम थी | उनके हथियार भारी भरकम थे | उनके पास गोला बारूद भी ज्यादा था | रेकी टीम के बैग  का वजन लगभग 40 से 45 किलोग्राम था | लेकिन अटैक टीम के बैक का वजन लगभग 50 से 60 किलोग्राम था |

इतने वजन के साथ उन रास्तों पर चलना , जहां रास्ता भी खुद ही बनना पड़ रहा है , लगभग असंभव था | लेकिन ये इंडियन आर्मी के जवान थे,  जो की असंभव को भी संभव कर सकते थे | रेकी टीम द्वारा दी गई जानकारी की मदद से अटैक टीम बहुत कम समय में अपने टारगेट तक पहुंच गई और 29 सितंबर रात 12:30 बजे तकअपने टारगेट को घेर कर बैठ गई |

अभी POK के आतंकियों के घर में लाइट जल रही थी | कुछ हलचल हो रही थी | इसलिए अटैक टीम ने अभी हमला न करना ही उचित समझा | अटैक टीम इन लाइट्स के बंद होने का इंतजार कर रही थी | तभी अचानक से आतंकियों  की तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई | रेकी टीम ने इस गोलीबारी के बारे में पहले भी बताया था | इसलिए अटैक टीम को पता था कि ये चार-पांच राउंड फायर करके सो जाएंगे |

लेकिन आज फायरिंग रुक नहीं रही थी | अटैक टीम के जवान बस इतना मना रहे थे कि यह फायरिंग उनकी तरफ ना हो , लेकिन शायद इस बार वह गलत थे | अचानक आतंकियों ने अटैक टीम की तरफ फायरिंग शुरू कर दी | गोलियां जवानों के ठीक बगल से गुजरने लगी | जवानों को लगा कि शायद आतंकियों ने उन्हें देख लिया है | लेकिन फिर भी उन्होंने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की | वे चुपचाप जहां थे वहीं पर सुरक्षित पड़े रहे | कुछ मिनटों के बाद गोलीबारी बंद हो गई और ईश्वर की दया से हमारे सारे जवान सुरक्षित थे |

थोड़ी देर बाद लाइट भी बंद हो गई | लाइट बंद होने के लगभग 1 घंटे बाद अब बारी  हमारे जवानों की थी | सारे जवानों ने अपनी अपनी पोजीशन ले ली | अब तीन, दो, एक और एक साथ हुआ एक जोरदार धमाका | हमारे जवानों ने आतंकियों की एक बिल्डिंग को रॉकेट लांचर से उड़ा दिया | इस धमाके के साथ ही साथ वहां पड़े केरोसिन तेल के टैंक में भी आग लग गई | जिससे और भी बड़ा धमाका हुआ | बहुत सारे आतंकी उस आग  की चपेट में आ गए |

यह बदला ठीक वैसा ही था,  जैसा उन्होंने URI अटैक में किया था | आतंकी अपनी बिल्डिंग और कैंप से निकलकर भागने लगे,  तो ग्रेनेड लांचर वाले जवानों ने उन्हें धराशाई कर दिया | जो आतंकी जवाबी हमले की तैयारी में थे | उन्हें स्नाइपर ने ठिकाने लगा दिया |  एक-47 लिए हमारे जवानों ने आतंकियों के शिविर में घुसकर बचे हुए आतंकियों को ढूंढ – ढूंढ कर  मारना शुरू कर दिया | कुछ ही देर में सारे टारगेट्स को बर्बाद कर दिया गया |

अब वहां से सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी थी,  सपोर्ट टीम की | जो की 2 दिन पहले से ही वहां तैनात थी | इधर इन टारगेट के आस – पास पाकिस्तान सेना के भी पोस्ट भी थे और इन धमाकों की आवाज  उन तक भी पहुंची | वहां से पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे जवानों की तरफ फायरिंग शुरू कर दी | लेकिन उन्हें हमारे जवानों का एग्जैक्ट लोकेशन नहीं पता था | इसलिए गोलियां जवानों के ऊपर से गुजर रही थी | साथ में हमारे सपोर्ट टीम के जवानों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी |  जिससे कि थोड़ी देर के लिए पाकिस्तानी पोस्ट से फायरिंग रुक गई | जिससे हमारे जवानों को वहां से निकलने के लिए एक मौका मिल गया |

कुछ ही पल में हमारे अटैक टीम के जवान और हमारे सपोर्ट टीम के जवान वहां से निकलकर POK के जंगलों में आ गए | जहां उन्हें ढूंढ पाना लगभग नामुमकिन था | इससे पहले की पाकिस्तान की सेना उन्हें ढूंढ पाती | हमारे जवान एल ओ सी पार करके भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए | लेकिन खतरा अभी टला नहीं था | सीमा के अंदर जंगलों में लैंड माइन बिछाए हुए थे |  जिनसे बचना इतना आसान नहीं था | हमारे जवान एक-एक कदम फूँक – फूँक कर रख रहे थे |

लेकिन तभी एक जोरदार धमाका हुआ | हमारे एक जवान ने अपना पैर लैंड माइन पर रख दिया था | जिससे उसका पैर बुरी तरीके से जख्मी हो गया | मेडिसिन में एक्सपर्ट एक जवान ने तुरंत उन्हें एक इंजेक्शन दिया और पट्टी की | जवानों ने उस इलाके को सावधानी से जल्द से जल्द पार किया | सीमा पर हेलीकॉप्टर बुलाया गया ताकि उस जवान का पैर बचाया जा सके |

उस जवान को सीधे  हॉस्पिटल में ले जाया गया | ताकि उनका पैर और उनकी जान दोनों को बचाया जा सके | हॉस्पिटल से आने के बाद जवान सीधा आर्मी कैंप पहुंचे | वहां उनका इंतजार उनके कमांडिंग ऑफिसर कर रहे थे | वहां पर जवानों का गर्मजोशी के साथ स्वागत हुआ | जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी अपने ऑफिसर्स को बताई | फिर कमांडिंग ऑफिसर ने हेडक्वार्टर फोन करके बताया कि हमारे जवानों ने अपना मिशन सफलतापूर्वक कंप्लीट कर लिया है और एक भी जवान शहीद नहीं हुआ है | एक जवान घायल है लेकिन अब उसकी स्थिति ठीक है | फिर आर्मी हेडक्वार्टर द्वारा यह संदेश हमारे देश के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री तक दी गई |

पाकिस्तान को भी फोन  करके कहा गया कि हमने पी ओ के में सर्जिकल स्ट्राइक किया है |  कुछ आतंकियों को मार गिराया है | अगर तुमने इसके बदले में कोई और हमला किया तो अब सिर्फ युद्ध होगा | पाकिस्तान को समझ में आ गया था कि यह नया भारत है | इससे उलझना भारी पड़ सकता है | इसलिए उसने यह कहकर पूरा मामला दबा दिया कि कहीं कुछ हुआ ही नहीं है | हमारे देश के कुछ नेताओं ने भी इस बात पर सवाल उठाया और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे |  जिनको हमारे देश की जनता ने ही जवाब दे दिया,  वह भी सबूत के साथ |

हमारी जनता में खुशी और उत्साह की लहर थी | देश-विदेश की मीडिया ने भी इसे अपने चैनल पर खूब दिखाया |  बहुत सारे देशों ने हमारे इस काम के लिए बधाई भी दी | और बहुत सारे देश चुप रहे | लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि हमारे इस सर्जिकल स्ट्राइक के खिलाफ बोले | इसी के साथ 29 नवंबर 2016  हमारे देश के गौरवशाली इतिहास में दर्ज हो गया | तो दोस्तों यह थी सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी दास्तान , आपको यह दास्तान कैसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताए |

जय हिन्द

जय भारत


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