शारीरिक शिक्षा न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ और सशक्त बनाती है, बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत विभिन्न शारीरिक गतिविधियाँ, खेल, योग और व्यायाम आते हैं, जो व्यक्ति के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं। इस लेख में हम शारीरिक शिक्षा के इतिहास, इसके उद्देश्यों और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे।
शारीरिक शिक्षा का इतिहास
इतिहास में देखा जाये तो शरीर को स्वस्थ्य और मजबूती देने की परंपरा प्रारंभ काल से चली आ रही है | पहले मनुष्य हिंसक पशुओ से सुरक्षा के लिए शारीरिक शक्ति को महत्त्व देता था, इसके लिए उन्होंने यह अनुभव किया कि शारीरिक श्रम करने से शरीर बलवान, सक्षम और तंदुरुस्त बनता है और सक्षम शरीर से स्वयं की रक्षा व किसी भी कठिन कार्य को सहजता से किया जा सकता है | इस प्रकार उन्होंने काम और व्यायाम के रूप में मिश्रित करके इसे अपनी दिन चर्या में शामिल किया |
शारीरिक शिक्षा क्या है
उनके दिनचर्या से, सुबह सूर्योदय से पहले उठाना, शौच के लिए दूर जंगल में जाना फिर वहाँ लकड़ियों को काटकर उनका गट्ठर घर तक लाना, पशुओं से दूध निकालना, कुएं से पानी निकालना, पत्थर से बनाए गए जतोले से अनाज पीसना या कुटना इत्यादि क्रियाओं द्वारा काम और व्यायाम का पता चलता है जो मनुष्य मन में इसके प्रति जागरूकता को दर्शाता है |
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा
जैसे – जैसे मानव सभ्यता सुधरती गई, वे लोग इसे कई तरह के मनोरंजक खेलों की भांति उपयोग में शामिल करते चले गए | जैसे- शिकार करना, तैरना, जानवरों को पकड़ने या उनसे बचने के लिए दौड़ का अभ्यास करना, मल्ययुद्ध, तीरंदाजी, घुड़सवारी और नृत्य जैसे शारीरिक श्रम इत्यादि को मनोरंजन के रूप में विकसित किया और इसे शारीरिक व्यायाम के रूप में अपनी दिनचर्या में शामिल भी करते गए |
शारीरिक शिक्षा किसे कहते हैं
सभी बाते उस समय की है जब जीवन बहुत संघर्षमय था और सभी कार्य मानव अपने हाथ से करता था, आधुनिक मशीनों की तरह कोई उपकरण नहीं थे, जिसके कारण आने वाली प्राकृतिक आपदा से लड़ना भी पड़ता था | धीरे – धीरे हिंसक पशुओं से रक्षा के लिए, कबिलों के बीच होने वाले युद्ध में शारीरिक बल को महत्त्व दिया जाने लगा, जिसे हम आज शारीरिक शिक्षा के नाम से पढ़ रहे है | उक्त घटनाओ ने मानव सभ्यता के विकास में व्यायाम शिक्षा को जन्म दिया, जिसने मानव सभ्यता को तीव्रता से विकसित किया है |
स्वास्थ्य एवं व्यायाम शिक्षा
शारीरिक शिक्षा का अभिप्राय अच्छे स्वस्थ्य के लिए शारीरिक श्रम को महत्त्व देने से है | आधुनिक समय में लगभग सभी शारीरिक श्रम, उपकरण या तकनीक द्वारा शीघ्रता से होने लगे है | शारीरिक श्रम न के बराबर हो चुका है, जिसका प्रभाव सम्पूर्ण मानव जाति ने कोरोना जैसी महामारी के रूप में देखा जा चुका है | यदि अब भी सम्पूर्ण विश्व इसके महत्त्व को नहीं समझा, तो इससे भी गंभीर परिणाम देखना बाकी है | इसलिए इसे हमें अपने दैनिक दिनचर्या में धारण ही करना चाहिए |
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा
शिक्षा का भाग जिसमे बच्चों को शारीरिक साधन से विकसित और सुशिक्षित किया जाता है जिसका असर उनके सम्पूर्ण जीवन पर पड़ता है, साथ ही साथ उनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और नैतिकता का विकास होता है | शारीरिक शिक्षा का एक अभिन्न अंग है जो हर नागरिक के शारीरिक, मानसिक, संवेग और स्वास्थ्य के लिए जरूरी है |
व्यायाम शिक्षा के उद्देश्य
इसका उद्देश्य मानव में शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विकास करना है | यदि हम कोई भी कार्य सफलता पूर्वक करना चाहते है तो इसके लिए शरीर का बलशाली होना जरूरी है | हैगमैन और ब्राडनवेल ने शारीरिक शिक्षा के चार उद्देश्य बताए है |
- शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि
- गामक कौशल में वृद्धि
- ज्ञान तथा जानकारी में वृद्धि
- योग्यता में परिवर्तन
व्यायाम शिक्षा का महत्व
आजाद भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था -”यदि शरीर साथ नहीं देता तो हृदय चाहे कितना मजबूत क्यों न हो, हम कुछ नहीं कर सकते |” मानव समाज में मानसिक सामंजस्य और विकास की वृद्धि के लिए शारीरिक शिक्षा महत्त्व पूर्ण है जो इसके महत्त्व की उपयोगिता को और अधिक रोचक बना देता है |
- शरीर के अंगों का विकास
- चेतना पेशी और सूचना पेशी का तालमेल
- खेल योग्य क्षमता का विकास
- सामाजिक तथा चारित्रिक विकास
- स्वास्थ्य एवं अच्छे स्वभाव का विकास
निष्कर्ष
शारीरिक शिक्षा का इतिहास हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे समय के साथ यह एक आवश्यक विषय के रूप में विकसित हुआ है, जो न केवल शरीर की फिटनेस पर जोर देता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का गहरा संबंध है, जो यह बताता है कि नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य केवल शारीरिक क्षमता को विकसित करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में अनुशासन, नेतृत्व, टीम वर्क, और आत्म-विश्वास जैसे गुणों को भी सुदृढ़ करना है। इन सभी पहलुओं के साथ, शारीरिक शिक्षा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
Read More – सफलता पाने के लिए प्रभावी आदतें और मानसिकता
Discover more from Hanswahini Education
Subscribe to get the latest posts sent to your email.