जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 का इतिहास, इसके पीछे की राजनीतिक परिस्थितियाँ

जम्मू कश्मीर, भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, अनुच्छेद 370 के कारण लंबे समय से चर्चा का केंद्र रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अनुच्छेद 370 क्यों लागू किया गया, इसके पीछे की राजनीतिक परिस्थितियाँ क्या थीं, और कैसे कश्मीर भारत का हिस्सा बना।

कश्मीर का इतिहास और राजनीतिक स्थिति

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, अधिकांश रियासतें भारत में विलीन हो गई थीं, लेकिन जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहने की इच्छा रखते थे। कश्मीर की भौगोलिक स्थिति और मुस्लिम बहुल आबादी के कारण पाकिस्तान भी इस पर दावा करता था। दूसरी तरफ, महाराजा हरि सिंह हिंदू थे और कश्मीर को भारत या पाकिस्तान में मिलाने को लेकर असमंजस में थे।

कबाइली हमला और भारत की मदद

24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर कबाइली आक्रमण कर दिया। इस संकट के समय, महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगाई। सरदार वल्लभभाई पटेल के करीबी वी. पी. मेनन को कश्मीर भेजा गया, जिन्होंने महाराजा को भारत में विलय का प्रस्ताव दिया। 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, और इस प्रकार कश्मीर भारत का हिस्सा बना।

अनुच्छेद 370 की उत्पत्ति

विलय के बाद भी कश्मीर की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को जोड़ा गया। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देता था, जिसमें राज्य की स्वायत्तता और कुछ विशेष कानून बनाए रखने का अधिकार शामिल था। इसके साथ ही अनुच्छेद 35A ने जम्मू कश्मीर की जनता को कुछ विशेष अधिकार दिए, जैसे कि स्थायी निवासियों को कुछ विशेषाधिकार।

कश्मीर विवाद और संघर्ष

1947 के बाद भी कश्मीर पर संघर्ष जारी रहा। 1948 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया। सीजफायर के बाद जनमत संग्रह का वादा किया गया, लेकिन यह कभी पूरा नहीं हो पाया। कश्मीर की राजनीतिक स्थिति और विशेष राज्य का दर्जा उसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाता रहा।

अनुच्छेद 370 और 35A का प्रभाव

अनुच्छेद 370 और 35A ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया। इसके तहत राज्य को अपना संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार मिला। हालांकि, यह अनुच्छेद समय के साथ विवाद का विषय बन गया, क्योंकि इससे कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों के बीच एक अंतर बना रहा।

जम्मू कश्मीर का भारत में विलय और अनुच्छेद 370 का लागू होना, भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। यह विवाद अभी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय है। अगले लेख में हम अनुच्छेद 370 और 35A के हटाए जाने की पूरी प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे, और कैसे इसने जम्मू कश्मीर की स्थिति को बदल दिया।

और पढे – कश्मीर का विलय : एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण 


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1 thought on “जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 का इतिहास, इसके पीछे की राजनीतिक परिस्थितियाँ”

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