History of terrorist Masood Azhar | आतंकी मसूद अज़हर का इतिहास

सर्जिकल स्ट्राइक के साथ-साथ उस  साल हुए उन आतंकी हमले के बारे में भी बात करेंगे | जिनका क्रम ठीक URI  Attack पर हुए हमले की तरह था | आतंकियों ने इस तरीके से बाकी हमलो को भी अंजाम दिया | जिस तरीके से URI हमले को अंजाम दिया था  | इन हमलों से यह पता चलता है कि कहीं ना कहीं हमारी सुरक्षा में कोई ना कोई कमी रह गई थी | जिस वजह से ऐसे हमले हो पाए |

हमइस कहानी में इन हमलों में शामिल हुए आतंकवादी संगठनों और उनके आकावों के बारे में भी बात करेंगे कि कैसे उन आतंकी संगठनों के अकाउंट में इन आतंकी संगठनों को बनाया ? कैसे वे भारत से और दूसरी जगह से आतंकवादियों को अपनी सेना में भर्ती करते हैं ? किस तरीके से दूसरे देश जैसे पाकिस्तान चीन और तुर्की इन संगठनों की मदद करते हैं ?  उनका पूरा नेटवर्क कैसे काम करता है ? इन सब के बारे में हम बात करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं |

आप इस सीरीज की चौथी कहानी पढ़ रहे हैं |  सन 1994, दिन शुक्रवार , दो लोग श्रीनगर के एक मस्जिद में जुम्मे की नमाज पढ़ कर वापस लौट रहे थे | उन दिनों कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ गई थी, तो अलग-अलग जगह पर चेक पोस्ट लगा हुआ था | सेना और पुलिस कई जगहों पर मिलकर चेकिंग कर रही थी | चेक पोस्ट पर बहुत सारी गाड़ियां रुकी हुई थी | वे दोनों भी उन्हीं में से एक गाड़ी में बैठे हुए थे | सेना के जवान गाड़ियों में लोगों से पूछताछ करते-करते,  इन दोनों के पास आए और इन दोनों से भी पूछताछ की गई |

पूछताछ के दौरान इन दोनों ने कुछ गोल-गोल जवाब देना शुरू कर दिया | सेना को इन दोनों पर शक हुआ | इसलिए सेना इन दोनों को आगे की पूछताछ के लिए अपने साथ हेडक्वार्टर ले गई | हेड क्वार्टर में जब इनसे पूछताछ की गई,  तो उन दोनों में से एक ने अपना नाम मसूद अजहर बताया और खुद को एक पाकिस्तानी पत्रकार बताया | सेना को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ | इसलिए उसे कुछ दिनों के लिए जेल में डालकर उसके बारे में पता लगाया जाने लगा |

लेकिन सेना को उसके बारे में ज्यादा कुछ खास पता नहीं चल पाया | कुछ दिन ऐसे ही गुजरे तभी कश्मीर में कुछ आतंकवादियों ने दो अमेरिकन नागरिकों को, जो कि कश्मीर घूमने आए थे | उन्हें अगवा कर उनके बदले मसूद अजहर तथा कुछ और आतंकवादियों को छोड़ने के लिए सरकार से मांग की | लेकिन उनकी यह चाल नाकामयाब हो गई | हमारे बहादुर सैनिकों ने उन दोनों नागरिकों को जिंदा बचा लिया | और उनके मांग के हिसाब से किसी भी आतंकवादी को जेल से नहीं छोड़ना पड़ा |

लेकिन हमसे शायद फिर चूक हो गई | अब भी सेना को मसूद अजहर पर इतना शक नहीं हुआ था | उन्हें लगा कि शायद यह कोई वहां का खास पत्रकार है, जिसकी वहां के नेताओं और आतंकवादियों से काफी अच्छी दोस्ती हो गई | उसके बाद से इस तरह की घटना लगातार तीन चार बार हुई | आतंकवादी दूसरे देश के नागरिकों को अगवा कर लेते थे,  और उनके बदले मसूद अजहर और दूसरे आतंकवादियों को छोड़ने के लिए कहते थे |

जब यह घटना लगातार तीन चार बार हुई,  तब हमारे सुरक्षा एजेंसी और सेना के कान खड़े हुए | तब उन्हें समझ में आ गया कि यह कोई मामूली इंसान नहीं या |  कोई पत्रकार नहीं है | इसका आतंकवादियों से बहुत गहरा साठ – घाट है | सेना ने अब मसूद अजहर की सुरक्षा को बढ़ा दिया |  उससे अब लगातार पूछताछ शुरू हो गई | जब सेना ने थोड़ी सी सख्ती दिखाई तो मसूद अजहर बुरी तरीके से टूट गया , और अपनी सारी सच्चाई खुद ही बता दी | उसने बताया कि उसके पिता पाकिस्तान की स्कूल में अध्यापक है | उसे पढ़ने के लिए कराची भेजा था |

वहां जाकर वह कुछ आतंकी संगठनों के संपर्क में आ गया, और बहुत जल्दी आतंकियों से अच्छे तरीके से जुड़ गया | उसका काम था आतंकियों के लिए पैसे इकट्ठा करना और इस काम में वह माहिर था | पैसे इकट्ठा करने के लिए वह देश-विदेश भी गया,   जैसे सऊदी अरब वहां से उसने ₹300000 इकट्ठा किया | अफ्रीकी देश गया,  वहां उसने कुछ दिन बिताया और लगभग 20 से 25 लाख रुपए इकट्ठा किया | फिर पुर्तगाल से होते हुए वह भारत आया |

भारत में उसका मकसद था कि भारत के डेमोग्राफी को समझना और साथ ही साथ भारत में पल  रहे आतंकवादियों को पैसे देना | वह भारत के अलग-अलग शहरों में रहा | यहां की राजनीति, यहां की भाषा और यहां की चीजों के बारे में जाना | उसने समझा कि यहां पर किस तरीके से लड़कों को आतंकी संगठन में भेजा जा सकता है |

इसके बाद मसूद अजहर कश्मीर के माहौल को समझने के लिए कश्मीर चला गया | वहां से कुछ लड़कों को पैसे देकर आतंकी संगठन में शामिल करने का प्लान बनाने लगा | लेकिन इससे पहले वह लड़कों को आतंकी संगठन में शामिल कर पाता,  वह भारतीय सेवा के हत्थे चढ़ गया |

लेकिन उसके पैसे इकट्ठा करने की कला से खुश होकर उसके आतंकवादी दोस्त उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे | समय बीतता गया और मसूद अजहर को भारत की जेल में लगभग 5 साल हो गए | लेकिन एक दिन 24 दिसंबर 1999 को नेपाल के काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस का एक विमान दिल्ली के लिए रवाना हुआ | फिर अचानक से उस विमान में कुछ ऐसा हुआ,  जिसे हम सोच भी नहीं सकते थे |

तो दोस्तों यह था पूरी अटैक की कहानी संख्या चार | उस दिन उस विमान में ऐसा क्या हुआ था ? जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं ? जिसे हम जानेंगे अगले ब्लॉग पोस्ट में,  तो अभी के लिए बस इतना ही |  मिलते हैं अगले कहानी में ………….

 


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