How is The Story of URI Attack Connected to Dina Nagar? URI हमले की कहानी दीना नगर से कैसे जुड़े है ?

दोस्तों अब हम इस नए ब्लॉग स्टोरी के माध्यम से URI Attack के पूरी कहानी के बारे मे जानेंगे , और समझेंगे की इस कायरना हमले की पठकथा कैसे और किसने लिखी , और भारतीय सेना ने किस प्रकार इसका मुँह तोड़ जवाब दिया ? दोस्तों,   18 सितंबर 2016 समय सुबह के 5:30 पर चार आतंकवादी भारतीय सेना की वर्दी में जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले के भारतीय सेना के कैंप में घुस जाते हैं, और सोते हुए हमारे जवानों के ऊपर कायरो की तरह हमला कर देते हैं | जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हो गए, और लगभग 19 से 30 जवान जख्मी हो गए |

दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से URI हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात करेंगे | साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि किस तरीके से आतंकवादी गतिविधियां चलाई जाती है? कौन-कौन से देश इन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं?

uri attack

किस तरीके से लड़कों को बहला – फुसला कर आतंकवादी बनाया जाता है, और सीमा के पार पाकिस्तान में कौन-कौन से ऐसे आतंकवादी संगठन है? जो हमारे देश के खिलाफ काम करते हैं, और साथ ही साथ उन संगठन का भी पूरा इतिहास भी जानेंगे |  तो आप पढ़ रहे हैं हँस वाहिनी एजुकेशन के ब्लॉग पोस्ट को , यदि आपको कहानी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे |

दोस्तों आपको तो पता ही है कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमारे जम्मू और कश्मीर पर कई दशकों से हालात निगाहें रखना आया है | और अपने इस ख्वाब को पाने के लिए वह कई बार हमसे लड़ा भी है,  लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी है | पाकिस्तान यह बात समझ चुका है कि अब वह सामने से लड़के हमसे जीत नहीं सकता | इसलिए कर आतंकवादियों को पलता है और उनके जरिए हमारे देश में आतंकवाद फैलाता है |

पाकिस्तान के कायरता का एक जीता जागता प्रमाण है | URI हमला,  लेकिन URI हमला से कुछ महीने पहले पाकिस्तान ने हमारे सुरक्षा बलों के ऊपर कुछ और भी आतंकी हमले करने आए थे | जिसके तार कहीं ना कहीं उरी हमले से जुड़े हुए थे | जिसे शायद समझने में हमसे कहीं ना कहीं चुक हो गई | जिनमें से एक हमला था, गुरदासपुर का आतंकवादी हमला |

दीना नगर पंजाब राज्य के गुरदास पुर जिले का एक छोटा सा कस्बा है | जहां से भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर महज 17 किलोमीटर की दूरी पर है | वहां पहरा उतना सख्त नहीं रहता है,  जितना भारत की दूसरी सीमाओं पर रहता है, और इस बात का फायदा सोने और नशीले पदार्थों की तस्करी  करने वाले तस्करों को हमेशा से मिलता आया है |

इसी बात का फायदा उठाते हुए तीन आतंकवादी 27 जुलाई 2015 को रात के अंधेरे में भारतीय सेना की वर्दी में एल ओ सी पार करके भारत में प्रवेश कर जाते हैं,  और वहां से तकरीबन सुबह के 5:00 बजे तक दीना नगर पहुंचते हैं |

उन आतंकवादियों का मकसद साफ था,  जो जहां मिले उसे वहीं मार देना | लेकिन समय ने उनका  साथ नहीं दिया | सुबह-सुबह जब आतंकवादी दीनानगर पहुंचे | उस समय लोग सो रहे थे | सड़के सुनसान थी | दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था |

तभी एक Alto कार वहां से गुजरती है | आतंकवादी सबसे पहले उसे कर को रोकते हैं,  और उसमे बैठे लोगों को अपनी गोलियों से जख्मी करके,  कार को लेकर सीधा दीनानगर बस अड्डा की तरफ जाते हैं | लेकिन सुबह का समय होने की वजह से बस अड्डा भी सुनसान था | एक आखिरी बस बचे कुछ लोगों को लेकर बस अड्डा से रवाना हो रही थी |

आतंकवादी जाते हुए बस को देखकर, उस पर गोलियां बरसाना शुरू कर देते हैं | बस का चालक     आतंकवादियों को देखकर समझ जाता है, कि ये लोगों को मारने के लिए आए हैं | वह बिना बस को रोके,  तेज रफ्तार में बस को भागना शुरू कर देता है | आतंकवादी बस पर गोलियां चलाते रहते हैं , और बार-बार चालक  को बस को रोकने के लिए कहते हैं, लेकिन बस चालक लगातार अपनी रफ्तार बढाते रहता है |

आतंकवादी कुछ दूर तक बस का पीछा भी करते हैं, लेकिन बस चालक अपनी चालाकी से उस बस को आतंकवादियों के पहुंच से दूर ले जाता है, और तब तक नहीं रोकता है ,जब तक कि बस सेना के कैंप तक नहीं पहुंच जाती है |

बस को खुद से दूर जाता हुआ देखकर,  आतंकवादी समझ जाते हैं कि अगर वह बस का पीछा करेंगे,  तो उनका मिशन फेल हो जाएगा |  इसलिए वह बस का पीछा करने की बजाय, अपना रूख,  सीधा दीनानगर पुलिस स्टेशन की तरफ कर लेते हैं,  और अब जो कुछ भी होने वाला था इसी पुलिस स्टेशन में होने वाला था |

लेकिन पुलिस स्टेशन पहुंचने से पहले रास्ते में जितनी भी दुकान और घर दिखे , उन सारी दुकानों और घरों पर आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग की |  फायरिंग में कुछ लोग घायल हुए और कुछ लोगों की जान भी गई |

लेकिन गनीमत इस बात की थी कि सुबह का समय था , दुकान और घर बंद थे | इसलिए शायद इतने लोग जख्मी नहीं हो पाए और इतने लोगों की जान नहीं गई,  जितनी आतंकवादियों ने गोलियां चलाई थी | गोलियां चलाते हुए आतंकवादी सीधा दीनानगर पुलिस स्टेशन के अंदर पहुंच जाते हैं,  और फिर शुरू होता है, मौत का नंगा नाच |

दोस्तों यह था कहानी का भाग एक,  अगले भाग में हम जानेंगे कि आतंकवादी किस तरीके से हमारे कुछ सुरक्षा बलों को कायरता से शहीद करते हैं ?  और हमारे सुरक्षा बल कैसे उन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारते हैं ?  क्या आतंकवादी उस दिन दीनानगर हॉस्पिटल पहुंच पाते हैं ? जो इनका तीसरा टारगेट था |

आर्टिकल 370 की पूरी कहानी जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें :-  आर्टिकल 370 

 

 

 

 


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