क्या आप परीक्षा की तैयारी में अक्सर समय की कमी महसूस करते हैं? क्या आपको ऐसा लगता है कि समय तेजी से बीत रहा है और आपके पास पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय नहीं बचता? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। समय का सही प्रबंधन ही परीक्षा में सफलता की कुंजी है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे विद्यार्थी Time Management को अपनाकर न सिर्फ बेहतर तैयारी कर सकते हैं, बल्कि परीक्षा में उत्कृष्ट परिणाम भी हासिल कर सकते हैं।
परीक्षा देते समय एक Time Management Skill बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है, जो आपकी सफलता और असफलता का परिचय देती हैं | छात्र को परीक्षा देते समय एक-एक सेकंड का पूरी तत्परता के साथ उपयोग करना चाहिए ,जो आपको सफलता की ओर अग्रसर करेगा | यदि इसके विपरीत छात्र घबराहट रखेंगे , तो छात्र का एक-एक सेकंड असफलता की ओर ले जाएगा |
Time Management Skill का उपयोग
परीक्षा में असफल छात्रों ने उठाए ये महत्वपूर्ण सवाल, जो विचारणीय हैं
1– प्रश्न-पत्र में आए हुए प्रश्न को हल करते समय, पहले के दो प्रश्नों को हल करने में 2 घंटे का समय लग गया | प्रश्न- पत्र में कुल पांच प्रश्न थे | शेष प्रश्नों को जल्दी-जल्दी करने में उनके उत्तर सही ढंग से नहीं लिख सके |
2- वस्तुनिष्ठ-प्रश्न को हल करने में समय ज्यादा लग गया , उसमें एक-दो प्रश्न ऐसे थे , जिसमें उलझ गए | वे प्रश्न देखने में बहुत सरल थे , लेकिन उसमें समय बहुत ज्यादा लग गया , जिसकी वजह से शेष प्रश्नों को हल करने में समय कम बचा |
3- प्रश्न पत्र बहुत लंबा था, समय कम था | इसलिए बहुत से प्रश्न छूट गए |
विचार के बिन्दु :
1- पहले प्रश्न पर विचार करें, तो ये उत्तर उन छात्रों के हैं, जो ऐसी परीक्षा में बैठे हैं , जिन्हें 3 घंटे में पांच प्रश्न करने होते हैं | उनके उत्तर की विवेचना करें, तो समझ में आता है कि प्रश्न हल करते समय हर एक प्रश्न के लिए समय सीमा छात्र को ही तय करनी होती है, कोई दूसरा, छात्र को याद कराने नहीं आएगा कि जल्दी करो, आपको अन्य प्रश्नों का भी जवाब लिखना है |
2- यदि एक-दो प्रश्नों के उत्तर ज्यादा लिख देंगे , तो क्या उन प्रश्नों के उत्तर अधिक आ सकते हैं? या अन्य प्रश्नों के उत्तर आवश्यकता से कम लिखने पर अंक काट लिए जाएंगे ? यह छात्र को ध्यान रखना होगा कि किस प्रश्न के उत्तर कितना लिकना है ?
3- परीक्षा में संतुलित समय प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है | प्रत्येक प्रश्न के लिए छात्र ही अपने समय सीमा को निर्धारित करें | पूर्ण संतोषजनक रूप से हर प्रश्न का आवश्यकता अनुसार उत्तर लिखें |
4- आधुनिक समय में वस्तुनिष्ठ पर प्रकार के प्रश्न के जवाब देने में निश्चित रूप से समय का अभाव रहता है , लेकिन इस वजह से आपको परेशान होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह समय-अभाव, परीक्षा दे रहे सभी विद्यार्थियों पर लागू होता है |
5- वस्तुनिष्ट -प्रश्न में ज्यादातर सभी प्रश्न समान अंक के होते हैं , यदि कोई प्रश्न हल करने में ज्यादा समय लगाएगा , तो छात्र समय-अभाव के जाल में फस सकता है , और आजकल की परीक्षाओं में ऐसे प्रश्न आते हैं | कई प्रश्न ऐसे होते हैं जो इतने लंबे होते हैं कि उनको पढ़ने या समझने में ही बहुत अधिक समय लग जाता है |
सीख
इन परिस्थितियों से निपटने के लिए उलझाने वाले प्रश्नों के जाल से बच सकते हैं ,
Time Management के लिए सावधानी रखें :
1- सामान्य रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं के वस्तुनिष्ठ प्रश्न – पत्र इस तरह से ही बनाया जाता है, जिनमें लगभग 40% प्रश्नों के उत्तर छात्र बिना परेशानी के दे सकता है,इन प्रश्नों के उत्तर छात्र एक बार में हल करके दे सकते हैं, परीक्षा देते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए , जिन प्रश्नों के उत्तर आसानी से दिए जा सकते हैं, पहले उनके जवाब दें | उसके बाद उन प्रश्नों को हल करें जिनमें समय अधिक लेंगे |
2- परीक्षा देते समय अनावश्यक घबराहट से बचें, यदि वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्र में अलग-अलग प्रश्नों के अंक अलग-अलग हो तब आप अधिक अंक वाले प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें और यह ध्यान रहे की समय सीमा छात्र ही निर्धारित करके रखेगा |
3- कभी-कभी छात्र पहले दिन की परीक्षा के बाद अपना बहुत सा कीमती समय व्यर्थ कर देते हैं, यदि छात्र का पहले दिन का प्रश्न-पत्र , किसी कारणवश खराब हो गया तो छात्र खाना पीना छोड़ देते हैं ,अपने भाग्य को कोसने में लग जाते हैं , रोने लगते हैं | दूसरे दिन की परीक्षा न देने का निर्णय ले लेते हैं |
छात्र की सकारात्मक और नकारात्मक सोच :
यह एक अजीब-सी स्थिति है, जिसमें छात्र Time Management Skill के अभाव में स्वयं को अजीब डिप्रेशन से घेर लेता है | इन परिस्थितियों से छात्र को बचना चाहिए| छात्र को पहले दिन का पेपर खराब होने से अपनी पढ़ाई को इस प्रकार के मानसिकता से बंद नहीं करना चाहिए | अगले दिन की परीक्षा के लिए जमकर तैयारी करनी चाहिए | किसी भी हालात में परीक्षा में उपस्थित होना चाहिए |
प्रश्न-पत्र और छात्र की सोच :
यदि छात्र यह एक प्रश्न पत्र को सही ढंग से हल नहीं कर पाया , तो इसमें क्या किसी अन्य की गलती है ?
मान लीजिए यह दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से हुआ है , ( दुर्भाग्य का रोना एक कमजोर मनः – स्थिति का व्यक्ति ही करता है ) ,इस वजह से दूसरे दिन की परीक्षा को न देने का फैसला मूर्खतापूर्ण है | छात्र को अपने बहुमूल्य समय को नष्ट करने से क्या लाभ मिलेगा ? दूसरे दिन की परीक्षा न देने से छात्र को क्या लाभ हो सकता है ?
अतः कहा जा सकता है कि एक प्रश्न-पत्र खराब होने से छात्र ये सोच ले कि , परीक्षा के मेरिट लिस्ट में नहीं आ पाएंगे , इसलिए दूसरे प्रश्न की परीक्षा देना व्यर्थ है| यह बहुत ही निराशा पूर्ण और कायरता से भरी सोच है, हो सकता है कि आपका दूसरे दिन का पेपर इतना अच्छा हो जाए कि वह आपके पहले प्रश्न-पत्र की क्षतिपूर्ति कर दे |
यह भी हो सकता है कि पहला प्रश्न-पत्र लीक हो जाए , अतः उसकी परीक्षा पुनः ली जाएगी | यह भी हो सकता है पहला प्रश्न- पत्र सभी छात्रों का खराब हो गया हो |
कल्पना और सकारात्मक सोच :
उपरोक्त बातें महज एक कल्पना माने, तो दूसरे दिन के प्रश्नपत्र की परीक्षा देने से छात्र को कुछ तो अनुभव मिलेगा | जो छात्र के लिए अन्य परीक्षाओं में बहुत लाभदायक होगा | एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि, दूसरों के सामने रोने से , स्वयं द्वारा की गई मेहनत की व्याख्या करने से कोई लाभ नहीं होगा, दूसरे लोग आपके साथ सिर्फ सहानुभूति व्यक्त सकते हैं ,लेकिन उस सहानुभूति से किसी भी छात्र को सफलता नहीं मिलेगी ,जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को संभाल कर, पूर्ण संयम के साथ, अपने मार्ग को निर्धारित करता है ,वह जीवन में अवश्य सफल होता है |
छात्र घबराहट से बचे :
छात्र परीक्षा में घबराहट किसी भी परिस्थिति में न आने दे | यदि एक प्रश्न में समय ज्यादा खराब हो गया हो ,तो दूसरे प्रश्न पर ध्यान दें ,वह भी नहीं हल होता है, तो तीसरे को हल करें | बिना किसी घबराहट , बिना किसी तनाव के, आगे बढ़ते रहें | परीक्षा के समय छात्र जिन परिस्थितियों से गुजरते हैं, लगभग वही स्थिति परीक्षा के समय हर एक छात्र की हो रहती है ,ऐसी सोच रखें | परीक्षा देते समय, एक – एक सेकंड का पूरी तत्परता के साथ सदुपयोग करें, इससे आप सफलता की ओर अग्रसर होंगे| यदि आप घबराहट महसूस करेंगे, तो आपका समय नष्ट होगा और आप असफलता की ओर बढ़ते चले जाएंगे |
दो मित्रों की कहानी :
दो मित्र एक परीक्षा की तैयारी कर रहे थे | परीक्षा के कुछ सप्ताह पहले एक मित्र का किसी दुर्घटना मे घायल हो गया , उसके बाएं पैर में चोट लग गई | अस्पताल में भर्ती हो गया| दूसरे मित्र को भी टाइफाइड हो गया, जिसके कारण वह कमजोरी महसूस करने लगा | डॉक्टर ने दवाइयां दी, लेकिन कमजोरी की वजह से, निराश होकर पढ़ाई नहीं कर रहा था |अपने पूरे दिन को सिर्फ यह सोचने में लगा दिया कि वह परीक्षा कैसे देगा ? और अपने किस्मत को कोसने लगा | जैसे – तैसे करके कुछ पढ़ा और आधे अधूरे मन से परीक्षा दी |
वही पहला मित्र पैर में चोट आने के बाद भी निराश नहीं हुआ | अस्पताल से आते ही, अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया , अपनी चोट की ओर ध्यान ही नहीं दिया | चोटिल पैर को लेकर के परीक्षा में उपस्थित हुआ और पूरी तत्परता , लगन और समय का सदुपयोग करते हुए परीक्षा दिया | परीक्षा का जब परिणाम आया पहला मित्र सफल हुआ और दूसरा मित्र कुछ नंबरों से सफल छात्रों की सूची से बाहर हो गया | दूसरा मित्र पछतावा करने लगा काश मैं निराश नहीं हुआ होता | लगन से पढ़ाई करता तो निश्चित रूप से मेरा भी नाम उन सफल छात्रों की सूची में होता |
ऐसा इसलिए हुआ, पहला चोटिल छात्र पूर्ण हिम्मत के साथ, लगन से अपने शेष समय का सदुपयोग किया और अपना ध्यान पढ़ाई की ओर ही लगाए रखा | वह अपनी चोट की तरफ ढेन ही नहीं ले गया , अपने लक्ष्य के लिए उसने अपने समय प्रबंधन को अव्यवस्थित नहीं होने दिया | अंत मे वह सफल हुआ |
जबकि टाइफाइड का छात्र अपनी हिम्मत को वह बल नहीं दे पाया , Time Management का सही से सदुपयोग नहीं किया , अपने सकारात्मक सोच को विकसित नहीं कर पाया और निराशा की वजह से वह अपनी पढ़ाई नहीं किया | जिसके कारण वह असफल हुआ | देखा जाए तो दोनों मित्रों की परिस्थितियां अचानक से घटित हुई, पहला मित्र साहस पूर्वक पूरी लगन के साथ मेहनत करता रहा , जबकि दूसरा मित्र अपनी किस्मत को कोसने में उपयोग किया |
निष्कर्ष :
परिस्थितियां चाहे जैसी हो, कितनी भी विपरीत हो , साहस को नहीं छोड़ना चाहिए | छात्र को धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए | पूरी लगन से आगे बढ़ते रहना चाहिए , आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए , तभी ईश्वर भी साथ देता है और आपकी जीत निश्चित होती है | Time Management एक छात्र के लिए कला है , हर एक छात्र को इस कला में माहिर होते हुए , आगे बढ़ते रहना चाहिए |
Read More – Use of This, That, These & Those
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