विश्व के कई देश URI The Surgical Strike को लेकर प्रश्न उठाने लगे जबकि पूरा विश्व ये अच्छी तरह से जानता था कि 18 सितंबर 2016 को पाकिस्तान पोषित 4 आतंकी भारत की सीमा में घुसे और फिर ऐसा तांडव मचाए कि भारतीय सेना के 19 जवान शाहिद हो गए , इसके साथ लगभग 30 निर्दोष नागरिक घायल भी हुए | दोस्तों आज के इस दसवें भाग में हम URI हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा किए गए Surgical Strike के बारे में बात करेंगे | URI हमले के बाद से पूरे भारत देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से की लहर दौड़ पड़ी थी | पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए चारों तरफ से मांग उठने लगी |
URI The Surgical Strike
अब इंटरनेशनल मीडिया भी URI की घटना कवर करने लगी | हर बार की तरह ही पाकिस्तान इस बार भी बस इसे झूठा इल्जाम बता कर खारिज करने लगा | लेकिन शायद उसे पता नहीं था अब सरकार बदल गई है | देश भी बदल चुका है | सरकार में बैठे लोगों को पता था कि अगर अब कुछ नहीं किया तो, ना देश माफ करेगा और ना ही उनके अंतरात्मा | गुस्सा उनके अंदर भी था | पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए प्रधान मंत्री आवास में मीटिंग शुरू हो चुकी थी | मंत्रियों द्वारा तरह-तरह के सुझाव दिए गए | जैसे व्यापार बंद कर देना, सिंधु नदी का पानी रोक देना, क्रिकेट खेलना बंद कर देना,या फिर सीधे युद्ध का ऐलान कर देना आदि आदि |
लेकिन इनमें से कोई भी वैसा मुंहतोड़ जवाब नहीं था | जैसाकि उस समय की स्थिति थी | लेकिन फिर हमारे देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल जी के नेतृत्व में एक प्लान बनाया गया | इस प्लान का कोई नाम नहीं दिया गया, क्योंकि इस प्लान को एकदम सीक्रेट रखना था | ऐसा कहा जाता है कि आप 50% युद्ध तभी जीत जाते हैं जब आपके प्लान के बारे में आपके दुश्मन को जरा सा भी पता ना चले | लेकिन यह मिशन शायद इतना आसान नहीं था | हमारी सेना के पास बहुत सारी चुनौतियां थी |
URI The Surgical Strike से पहले भारतीय सेना की प्लानिंग
पहले इसके बारे में दुश्मन को बिल्कुल भी भनक नहीं लगनी चाहिए | क्योंकि अगर दुश्मन को इस ऑपरेशन या मिशन के बारे में कुछ भी पता लग गया, तो यह ऑपरेशन करना लगभग नामुमकिन हो जाता | इसलिए इस मिशन को गोपनीय रखा गया | जो जवान इस मिशन को करने वाले थे, उन्हें भी अब तक इस मिशन के बारे में कुछ नहीं पता था | जिन सेना के अधिकारियों को इस मिशन के बारे में पता था, उन्हें भी यही कहा गया कि आप इस मिशन के बारे में कंप्यूटर या लैप टॉप पर कुछ नहीं लिखेंगे |
अगर किसी जवान को इस मिशन के बारे में आपको कुछ भी समझना होगा, तो आप एक पेपर और पेंसिल की मदद से उसे समझाएंगे | फिर बाद में उस पेपर को तुरंत वहीं जला कर राख कर देंगे | पाकिस्तान सेना को भी ऐसा नहीं लगना चाहिए था कि भारत कुछ बड़ा करने वाला है | इसलिए भारतीय सेना पाकिस्तान की सेना के सामने रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी | क्योंकि पाकिस्तान की सेना और उनके जासूस URI अटैक के बाद सतर्क हो गए थे, कि कहीं भारत इसका बदला ना ले ले |
भारतीय सेना की पहली चुनौती
इधर पाकिस्तान की सरकार को भी बिल्कुल भी महसूस नहीं होना चाहिए था कि भारत की सरकार कोई ठोस कदम उनके खिलाफ उठाने वाली है | इसलिए भारत सरकार भी बस करारा जवाब देंगे कह कर चुप हो गई थी | यू एन की मीटिंग में भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना भाषण दिया | पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी थी | पाकिस्तान बिल्कुल अलग-थलग पड़ा हुआ था |
भारत की तरफ से हमारे देश की लोकप्रिय विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज जी ने पाकिस्तान को यू एन में बाकी देशों के सामने उसकी असली औकात दिखा दी थी | लेकिन वहां भी हमने ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि हम कुछ बड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं |
भारतीय सेना की दूसरी चुनौती
हमारे पास दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी पी ओ के में घुसना | पी ओ के में घुसना इतना आसान नहीं था | क्योंकि वहां पर दो तरह का पहरा था | पहले पाकिस्तान आर्मी और दूसरा पाकिस्तानी आतंकवादियों का कैंप | हमारी आर्मी ने पी ओ के में घुसने के लिए जंगलों का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया क्योंकिजंगलों में घर नहीं होते और इससे गांव वालों और कुत्तों द्वारा देखे जाने का खतरा भी नहीं होता है |
कुत्ते अनजान लोगों को देखकर भोंकते रहते हैं | जिससे हमारे जवान पकड़े जा सकते थे | तीसरी सबसे बड़ी चुनौती थी, मिशन पूरा करके सुरक्षित वापस आना | क्योंकि जो पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में आते थे | उनकी वापसी का कोई प्लान नहीं होता था | क्योंकि उनके जान की कोई कीमत नहीं होती थी |
कमांडोज का चयन
लेकिन हम प्रोफेशनल इंडियन आर्मी है | हमारे जवानों को दुश्मनों को मारना भी था | साथ ही साथ अपनी भारत माता की सेवा के लिए वापस आना भी था | इन तीनों चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए प्लान बनाना शुरू कर दिया गया |
सबसे पहले उन जवानों और ऑफिसर्स को चुना गया, जो इस मिशन को पूरा करने वाले थे | फिर उन्हें बेसिक ट्रेनिंग दी गई | LOC के आसपास के सारे टेरर कैंप के बारे में जानकारी दी गई | सैटेलाइट तस्वीरों और हमारे जासूसों द्वारा यह बात पता चली कि पाकिस्तान के कब्जे वाले इस हिस्से में तकरीबन 50 से ज्यादा आतंकी कैंप है |
इन कैंपों में 500 से ज्यादा आतंकवादी रहते हैं | आतंक वादी यही से ट्रेनिंग लेते हैं | इन आतंकियों को कैंप से लॉन्च पैड तक लाया जाता है | जहां से वह भारत में घुसने का प्रयास करते हैं | उनमें से ज्यादातर तो बी एस एफ की गोलियों से वही ढ़ेर हो जाते हैं | लेकिन कुछ आतंकी सीमा पार करने में कामयाब हो जाते हैं | इधर इस मिशन की पूरी प्लानिंग बना चुकी थी | इस प्लान को 23 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री जी के सामने पेश कर दिया गया | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस मिशन के लिए अप्रूवल दे दिया |
भारतीय सेना पाकिस्तान की सीमा मे
प्लान के हिसाब से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 6 टारगेट चुने गए , जो की भीड़भाड़ और गांव से दूर थे | इन टारगेट में जैस ए मोहम्मद के बहुत सारे आतंकवादी छिपे हुए थे | लेकिन समस्या यह थी कि इन टारगेट्स पर एक साथ हमला करना आसान नहीं था | क्योंकि सारे टारगेट्स एक दूसरे से बहुत ज्यादा दूरी पर थे | इसलिए इन हमलों को अंजाम देने के लिए दो टीमें बनाई गई |
टीम ए जिसके लीडर मेजर एक्स और टीम बी के लीडर थे मेजर व्हाय | URI The Surgical Strike टीम को लेकर भारतीय सेना या भारत सरकार ने कभी भी इन दोनों ऑफिसर का नाम डिस्क्लोज नहीं किया | इसलिए हम इन्हें एक्स और व्हाय मान कर चल रहे हैं | चूंकि उरी अटैक में सबसे ज्यादा बिहार और डोगरा रेजीमेंट के जवान मारे गए थे | इसलिए इंडियन पैराट्रूप्स और इंडियन पैरा कमांडो के अलावा डोगरा और बिहार रेजीमेंट के जवान भी इस मिशन में शामिल थे |
कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं चाहूंगा कि आप एक बार भारतीय सेना के डोगरा और बिहार रेजीमेंट के गौरवशाली इतिहास को जरूर जान लें | डोगरा रेजीमेंट अंग्रेजों द्वारा बनाई हुई 163 साल पुरानी रेजिमेंट है | इस रेजीमेंट में जम्मू हिमाचल और उत्तर पंजाब से जवानों को लिया जाता है | जब इस रेजीमेंट के जवान ज्वाला माता की जय के उद्घोष के साथ मैदान में उतरते हैं, तो डर के मारे दुश्मनों के रूह कांप उठती है |
भारतीय सेना का गौरव
भारत और चीन की सीमा पर भारतीय सेना के आई टी बी पी के अलावा डोगरा रेजीमेंट के जवान भी तैनात रहते हैं | द्वितीय विश्व युद्ध में इन जवानों ने अद्भुत बहादुरी और वीरता का प्रदर्शन किया था | पाकिस्तान से 1965 और 1971 के युद्ध में भी डोगरा रेजीमेंट ने अद्भुत वीरता दिखाई थी | जिसकी वजह से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी | वैसे तो हमारे भारतीय सेना के हर रेजीमेंट में एक जैसी बहादुर वीरता और युद्ध कौशल से सम्पन्न सैनिक है |
लेकिन हर एक रेजीमेंट की अपनी एक विशेष पहचान है | डोगरा और बिहार रेजीमेंट भी अपनी अलग-अलग विशेषताओं के लिए पहचाने जाते हैं | बिहार रेजीमेंट का गठन अंग्रेजों द्वारा 1825 में किया गया था | तब यह बंगाल इन्फेंट्री का हिस्सा था | स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे भी इसी रेजिमेंट से थे | भारतीय सेना बिहार रेजीमेंट के बहादुर वीरता और किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल लेने की क्षमता को देखकर 1945 में भारत के लिए इनका एक अलग रेजीमेंट बनाया गया था |
भारतीय सेना और चीन
1965 और 1971 के युद्ध में बिहार रेजीमेंट ने भी अपनी अद्भुत वीरता दिखाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे | अभी कुछ वर्ष पहले चीन के साथ बलवान घाटी के झड़प में बिहार रेजीमेंट ने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन दिखाते हुए, चीन के 40 से 45 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था | तबसे चीन के जवानों में भारतीय सेना की दहशत व्याप्त रहता है | वे भारत की सीमा पर आ तो जाते हैं, लेकिन अगर भारत के जवान सीमा पर खड़े हैं ,तो वह भारत के जवानों से उलझाने का प्रयास नहीं करते है | और ना ही भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास करते हैं |
बस बॉर्डर पर आ जाते हैं और दूर से खड़े होकर देखते रहते हैं | सर्जिकल स्ट्राइक के लिए इन जवानों को उनकी क्षमताओं के आधार पर चुना गया | जैसे कुछ जवान मेडिकल में एक्सपर्ट थे, इन्हें हर एक प्रकार के जख्मों का और दवाओं का पूरा ज्ञान था | उन्हे कब कौन सी दवा देनी है ? किस तरह की पट्टी लगानी है? घाव कैसे साफ करना है ? इंजेक्शन कैसे देना है ? ये सब कुछ पता था | कुछ स्नायपर थे, जो बिना शोर किए दूर तक एकदम सटीक निशाना लगाकर दुश्मन को मार गिराने में एक्सपर्ट थे |कुछ ग्रेनेड चलाने में एक्सपर्ट थे, तो कुछ सीधा आतंकियों के सामने खड़े होकर उन्हें मटिया मेल करने में एक्सपर्ट थे | कुछ जवान ऐसे भी थे, जो रेडियो कम्युनिकेशन स्थापित करने में माहिर थे |
भारतीय सेना की क्षमता
URI The Surgical Strike के लिए अलग-अलग क्षमताओं के जवानों को लेकर अलग-अलग टीम बनाई गई | हर एक टीम में हर एक क्षेत्र में माहिर जवानों को रखा गया था | फिर शुरू हुई ट्रेनिंग और हमले की तैयारी | जवानों से उनका मोबाइल फोन ले लिया गया | फिर उन्हें इस मिशन के बारे में बताया गया | हमारी खुफिया एजेंसीओं ने अपने जासूसों के साथ मिलकर पी ओ के में उपस्थित सारे आतंकवादी लॉन्च पैड और कैंप के बारे में पता लगा लिया था |
हर तरह की जानकारियां इकट्ठी की जाने लगी | उन जानकारियों को URI The Surgical Strike के जवानों के साथ शेयर किया जाने लगा | टीम के जवानों ने इन जानकारी के मुताबिक अपनी तैयारी शुरू कर दी | जवानों ने जहां सर्जिकल स्ट्राइक करनी थी | ठीक उसी के जैसा एक मॉडल तैयार किया गया | उसे मॉडल पर युद्ध अभ्यास शुरू कर दिया | जवानों ने मिलकर हमले की पूरी रणनीति तैयार की | अंदर जाने के बाद कौन क्या-क्या करेगा? कब और कैसे करेगा? किसी भी प्रकार की चुनौतियों से कैसे निपटना है? इन सब के बारे में भी बात की गई | तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी | और अब था बस अटैक करना |
दोस्तों आज के इस भाग में बस इतना ही , इसके आगे के भाग में जानेंगे कि किस तरह से हमले को अंजाम दिया गया ? और क्या सच में हमारा एक भी जवान इस मिशन में शहीद नहीं हुआ ? क्या यह इतना आसान था जितना तैयारी से दिख रहा है ? क्या बस एक ही दिन में यह मिशन कंप्लीट हो गया ? इसके बारे में भी बात करेंगे तो अभी के लिए बस इतना ही | मिलते हैं अब अगले भाग में ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Read More – भारत मे ब्रिटिश शासन और सरदार पटेल की भूमिका
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